जिले में हाल ही में प्रशासन द्वारा जारी की गई फसल खराबे की रिपोर्ट पर अब भारतीय किसान संघ (BKS) ने गंभीर आपत्ति जताई है। संघ ने रिपोर्ट को भ्रामक और वास्तविकता से दूर बताते हुए इसे पुनः तैयार करने की मांग की है।
भारतीय किसान संघ के जिला कार्यकारिणी सदस्य रमेश जोशी ने कहा कि प्रशासन द्वारा जारी आंकड़े जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाते, जिससे किसानों को वास्तविक नुकसान का मुआवजा मिलने में दिक्कत होगी।
जानकारी के अनुसार, हाल के समय में जिले में लगातार बारिश और ओलावृष्टि के कारण कई इलाकों में सोयाबीन, मक्का, बाजरा और कपास की फसलें बर्बाद हो गई थीं।
प्रशासन की ओर से किए गए प्रारंभिक सर्वे में फसल नुकसान का प्रतिशत कम दर्शाया गया, जिससे किसानों में नाराज़गी और असंतोष फैल गया है।
किसान संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि कई गांवों में फसलें पूरी तरह चौपट हो चुकी हैं, जबकि रिपोर्ट में उन्हें “हल्का नुकसान” बताया गया है। इससे यह स्पष्ट है कि सर्वे में स्थानीय स्तर पर लापरवाही बरती गई है।
किसान संघ की मांगभारतीय किसान संघ के जिला कार्यकारिणी सदस्य रमेश जोशी ने मंगलवार को कहा —
“प्रशासन को चाहिए कि वह पूरी बांसवाड़ा तहसील में फसल नुकसान का पुनः सर्वे करवाए।
किसान महीनों की मेहनत के बाद जब खेत से कुछ भी नहीं निकाल पा रहा, तब उसे राहत का भरोसा होना चाहिए, न कि गलत रिपोर्ट।”
उन्होंने कहा कि संघ जल्द ही इस मुद्दे पर जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपेगा और आवश्यकता पड़ने पर धरना-प्रदर्शन भी किया जाएगा।
स्थानीय किसानों की पीड़ास्थानीय किसानों ने बताया कि इस वर्ष बारिश का पैटर्न पूरी तरह असामान्य रहा। कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा से खेतों में जलभराव हो गया, जबकि कुछ गांवों में कीट और फफूंदी रोगों ने फसलों को चौपट कर दिया।
इन हालात में नुकसान 70 से 100 प्रतिशत तक है, लेकिन प्रशासनिक रिपोर्ट में केवल 20 से 30 प्रतिशत नुकसान दर्ज किया गया है।
जिला प्रशासन ने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट पटवारियों और कृषि विभाग की संयुक्त टीमों द्वारा तैयार की गई है।
हालांकि, अधिकारियों ने यह भी संकेत दिए कि यदि आवश्यक हुआ तो समीक्षा सर्वे कराया जा सकता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —
किसानों को मुआवजे की उम्मीद“हमें किसान संगठनों की आपत्तियां मिली हैं। हम रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे और यदि कहीं त्रुटि पाई गई तो सुधार किया जाएगा।”
किसानों को उम्मीद है कि पुनः सर्वे के बाद वास्तविक आंकड़े सामने आएंगे और उन्हें राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) से उचित मुआवजा मिलेगा।
भारतीय किसान संघ ने कहा कि वह तब तक आंदोलन जारी रखेगा जब तक किसानों को न्याय नहीं मिलता।
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