छुट्टियों में घर पर वक़्त बिताते हुए कई बार हमें महसूस होता है कि ढेर सारा सामान इकट्ठा हो गया है और उनमें से कई चीज़ की कोई ख़ास ज़रूरत भी नज़र नहीं आती.
ऐसे में जब हमें अपना घर बिखरा हुआ नज़र आता है, तो हम उसे व्यवस्थित करने के बारे में सोचते हैं.
मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक़, अपने घर को साफ़-सुथरा रखने और व्यवस्थित करने से तनाव कम हो सकता है और हमारा एनर्जी लेवल बढ़ सकता है.
हालांकि, घर को व्यवस्थित करने के ख़्याल के बीच अक्सर ये तय करना आसान नहीं होता कि क्या रखना है और क्या हटाना है, और हममें से कई लोग इससे जूझते रहते हैं.
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बीबीसी रेडियो 4 के वीमेन्स आवर में एक्सपर्ट्स ने उन तरीकों के बारे में बात की, जिससे आपको अपना घर व्यवस्थित करने में मदद मिल सकती है.
1. छोटी शुरुआत करेंकई लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती घर की सफाई की शुरुआत करने की होती है. इसलिए ये ज़रूरी है कि आप सबसे पहले ख़ुद को इसके लिए तैयार करें.
शुरू में पुराने तोहफ़ों समेत उन चीज़ों को फेंकना भी शामिल है, जिनका आप कोई इस्तेमाल नहीं करते.
राइटर और ब्रिटिश रियल्टी कॉम्पिटिशन टीवी सिरीज़ इंटीरियर डिजाइन मास्टर्स की जज मिशेल ओगुंडेहिन का कहना है कि धीरे-धीरे आगे बढ़ना भी ज़रूरी है.
वह कहती हैं, "ऐसा नहीं सोचना है कि 'ठीक है, बस हो गया! अब सब कुछ हटा देना चाहिए!' बल्कि एक बारी में एक ही कदम उठाना चाहिए."
ओगुंडेहिन की सलाह है कि इसकी शुरुआत किसी एक दराज या अलमारी से करें, इस तरह धीरे-धीरे आगे बढ़ें. इससे काम बोझ लगने के बजाए आसान लगता है.
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यह ज़रूरी है कि आप पहले से प्लान कर लें कि आप जिन चीज़ों को हटाएंगे, उनका क्या करना है.
अच्छा होगा कि ये प्लानिंग सामान हटाने से पहले या शुरुआत के कुछ दिनों में कर ली जाए.
प्रोफ़ेशनल ऑर्गनाइज़र इंग्रिड जेनसन कहती हैं, "आप नहीं चाहेंगे कि आपके घर के हॉल में बेकार सामान का ढेर लग जाए."
इंग्रिड जेनसन डिक्लटर हब की को-फ़ाउंडर हैं.
डिक्लटर हब 60 हज़ार से अधिक सदस्यों की एक कम्यूनिटी है. जेनसन कहती हैं कि चीज़ों को दान करने, रिसाइकिल करने या फेंक देने के विकल्प लगातार बढ़ रहे हैं.
और इसके लिए कई ऐप भी उपलब्ध हैं. इसके अलावा सेकंड हैंड चीज़ों को ऑनलाइन बेचा भी जा सकता है.

अपने घर या चीज़ों को व्यवस्थित करने का मतलब यह नहीं है कि जो चीज़ें आपको पसंद हैं, उन्हें भी हटा दें.
इसके बजाय, ओगुंडेहिन सलाह देती हैं, "अपने आसपास वही चीज़ें रखें, जिन्हें आप वाकई में रखना चाहते हैं."
वह कहती हैं, "उन्हीं चीज़ों को घर में रखें जो आपको सहारा देती हों, जो घर के अंदर आते ही आपको उत्साहित करें. चाहे वे छुट्टियों में खरीदी गई चीज़ें हों, तस्वीरें हों या बच्चों के बनाए आर्ट हों."
ओगुंडेहिन के मुताबिक़, इसके लिए ज़रूरी है कि हर चीज़ की एक तय जगह हो, न कि उन्हें घर में बिखरा हुआ छोड़ दिया जाए.
4. पुरानी यादों और जज़्बातों के बीच फ़र्क समझेंभावनात्मक लगाव के कारण कई लोग पुरानी चीज़ों को छोड़ना मुश्किल पाते हैं.
चैनल 4 के शो 'द होर्डर नेक्स्ट डोर' के होस्ट और साइकोथेरेपिस्ट स्टेलियोस कियोसेस कहते हैं कि यह लगाव अक्सर पुरानी यादों और भावुकता से जुड़ा होता है, लेकिन दोनों अलग बातें हैं.
भावुकता का मतलब है किसी चीज़ की इमोशनल वैल्यू, क्योंकि वह किसी रिश्ते, उपलब्धि या खास पल का प्रतीक हो सकती है. वहीं नॉस्टेल्जिया अतीत का एहसास है, जब कोई पुरानी चीज़ हमें बीते पल याद दिला देती है.
कियोसेस बताते हैं, "आप अपने बच्चे का खिलौना देखकर भावुक हो जाते हैं क्योंकि वह आपको उस समय की याद दिलाता है, जब आप बच्चे के साथ खेला करते थे."
इन दोनों के बीच फर्क समझना ज़रूरी है, ताकि चीज़ों को छोड़ना आसान हो सके. उदाहरण के लिए बच्चों के वे जूते लीजिए, जिन्हें उन्होंने पहली बार पहना था.
डिक्लटर हब की जेनसन कहती हैं, "आपको लगता है कि आप उन्हें बच्चों के लिए रखते हैं, लेकिन असल में वो आपकी यादें हैं. क्योंकि आपको याद है कि आप दुकान गए थे, उनके साथ जूते खरीदे थे और आपको लगा था कि तब वे कितने प्यारे लग रहे थे."
इसलिए असल वजहों के बारे में सोचें और यह भी देखें कि क्या घर में रहने वालों को उन चीज़ों की कमी महसूस होगी.
आजकल स्मार्टफ़ोन से हम आसानी से यादगार पल सहेज सकते हैं. जब एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है, तो क्या वाकई हमें सब कुछ संभालकर रखने की ज़रूरत है?
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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