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नीमराणा होटल फायरिंग केस: एनआईए ने जांच तेज की, खालिस्तानी नेटवर्क से जुड़े तीन और आरोपी नामजद | cliQ Latest

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नीमराणा के होटल हाइवे किंग में दिसंबर 2024 में हुई फायरिंग की जांच में नया मोड़ आया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस मामले में तीन और लोगों को आरोपपत्र में शामिल किया है, जिससे खालिस्तानी नेटवर्क से जुड़े आतंकवादी साजिश की परतें और खुलती जा रही हैं। नए आरोपियों—धर्मेंद्र सिंह, गौरव और दीपक—पर हमले की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप है। पहले से इस मामले में कई गिरफ्तारियां और आरोपपत्र दायर किए जा चुके हैं, जिनके तार कनाडा स्थित आतंकी अर्श डल्ला से जुड़े पाए गए हैं।

जयपुर की विशेष अदालत में दूसरा पूरक आरोपपत्र दाखिल

एनआईए ने शनिवार को जयपुर स्थित एनआईए विशेष अदालत में दूसरा पूरक आरोपपत्र दायर किया। एजेंसी के अनुसार, ये तीनों आरोपी होटल पर फायरिंग की साजिश में शामिल थे, जिसे कथित तौर पर कनाडा में बैठे कुख्यात खालिस्तानी आतंकी अर्श डल्ला के इशारे पर अंजाम दिया गया। अर्श डल्ला पर पहले भी कई आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है।

पहले से नामजद आरोपियों की भी अंतरराष्ट्रीय कड़ी

इससे पहले एनआईए ने इसी मामले में सचिन उर्फ प्रवीन उर्फ ढोलिया, योगेश उर्फ मोनू और विजय उर्फ काले को भी आरोपपत्र में शामिल किया था। ये सभी भी विदेश में बैठे आतंकियों के निर्देश पर काम कर रहे थे। इन गिरफ्तारियों ने इस बात को और स्पष्ट किया कि यह हमला किसी स्थानीय झगड़े का नतीजा नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित अंतरराष्ट्रीय साजिश थी।

राजस्थान पुलिस ने इस मामले की शुरुआती जांच में आठ लोगों को गिरफ्तार किया था और सात के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। इन प्रारंभिक कार्रवाइयों ने एनआईए की विस्तृत जांच की नींव रखी।

खालिस्तानी तत्वों की भारत में मौजूदगी की कोशिश

जांच एजेंसियों का मानना है कि यह हमला भारत में डर और अस्थिरता फैलाने के मकसद से किया गया था। खालिस्तानी समर्थक संगठन देश में अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाहते हैं और इसके लिए स्थानीय संपर्कों व स्लीपर सेल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। अर्श डल्ला की इस हमले में संलिप्तता, और उसकी योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए भारत में मौजूद नेटवर्क की भूमिका को गंभीरता से लिया जा रहा है।

एनआईए द्वारा तीन नए आरोपियों के नाम सामने लाने का मकसद इस पूरे नेटवर्क को बेनकाब करना है। स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकियों के बीच की कड़ी को उजागर कर एजेंसियां इस तरह की कट्टरपंथी सोच और प्रायोजित हिंसा की साजिशों को जड़ से खत्म करने का प्रयास कर रही हैं।

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