अक्सर छोटे शहरों के मिडिल क्लास परिवारों में महिलाओं के सपनों को दबा दिया जाता है. लेकिन कई परिवारों में आर्थिक तंगी के बाद भी महिलाओं को ऊंचे सपनों को पूरा करने के काबिल बनाया जाता है. आज हम एक ऐसी महिला की सफलता की कहानी बता रहे हैं. बिहार के एक छोटे शहर में मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखने वाली जया झा आज लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं. गूगल, आईबीएम जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम के दौरान भी उन्हें कुछ अधूरा लग रहा था. इसके बाद उन्होंने इबुक्स पोर्टल इंस्टास्क्राइब और pothi.com की नींव रखी.
माता-पिता का साथ जया झा का कहना है कि बचपन से ही उनके माता-पिता ने उनका काफी साथ दिया. वे एक ऐसे समाज का हिस्सा थी जहां घर की बेटियों के लिए माता-पिता एक अच्छे परिवार में शादी की कामना करते हैं. लेकिन उनके माता-पिता ने बचपन से ही उन्हें करियर के प्रति महत्वाकांक्षी बनाया. जिसके लिए उन्होंने अपनी बेटी को 10 साल की उम्र में ही हॉस्टल भेज दिया. स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने आईआईटी कानपुर स्नातक और आईआईएम लखनऊ से एमबीए किया.
बड़ी-बड़ी कंपनियों में किया काम अच्छी शिक्षा हासिल करने के बाद जया ने गूगल और आईबीएम जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों में अच्छे पद पर काम किया. लेकिन इस दौरान भी वे अपना स्टार्टअप शुरू करने का सपना देखा करती थी. आखिरकार साल 2008 में उन्हें ई बुक्स पोर्टल की स्थापना करने का आइडिया आया. उसके बाद उन्होंने अभय अग्रवाल के साथ मिलकर इंस्टास्क्राइब की नींव रखी. यह प्लेटफॉर्म उन लेखकों की मदद करता है जो अपनी बुक को पब्लिश नहीं करवा पाए. वे लेखक इस मंच के द्वारा अपनी लिखी गई किताबें को ऑनलाइन पब्लिश करवा कर उन्हें अमेजॉन Kindle, एप्पल आई बुक स्टोर और अन्य प्लेटफार्म पर पब्लिश कर सकते हैं.
किताबों को डिजिटल बनाने के इस आईडिया के साथ ही काम करते हुए उन्होंने pothi.com की भी शुरुआत की. जो कई लेखक और पब्लिशर्स के लिए काफी सुविधाजनक और सस्ता विकल्प साबित हुआ. इन दोनों ही प्लेटफार्म को जय अपने कुछ साथियों के माध्यम से संभाल रही हैं. बेहतर मार्केटिंग रणनीति और यूजर्स फ्रेंडली पोर्टल्स के कारण यूजर्स की संख्या दोनों प्लेटफार्म पर बढ़ती जा रही है.
इसमें से इंस्टास्क्राइब की ख़ास बात यह है कि इसमें यूजर्स को पे व्हाट यू वांट प्लान मिलता है. इसकी सभी सुविधाएँ मुफ़्त हैं और जो कोई भी साइन अप करता है, उसे कम से कम तीन महीने तक मुफ़्त एक्सेस दिया जाता है. जिससे यह प्लेटफार्म का यूजर्स का पसंदीदा बन चुका है.
आज जया झा न केवल महिलाओं के लिए बल्कि उन युवाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं, अपने जीवन में कुछ करना चाहते हैं, . अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं.
माता-पिता का साथ जया झा का कहना है कि बचपन से ही उनके माता-पिता ने उनका काफी साथ दिया. वे एक ऐसे समाज का हिस्सा थी जहां घर की बेटियों के लिए माता-पिता एक अच्छे परिवार में शादी की कामना करते हैं. लेकिन उनके माता-पिता ने बचपन से ही उन्हें करियर के प्रति महत्वाकांक्षी बनाया. जिसके लिए उन्होंने अपनी बेटी को 10 साल की उम्र में ही हॉस्टल भेज दिया. स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने आईआईटी कानपुर स्नातक और आईआईएम लखनऊ से एमबीए किया.
बड़ी-बड़ी कंपनियों में किया काम अच्छी शिक्षा हासिल करने के बाद जया ने गूगल और आईबीएम जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों में अच्छे पद पर काम किया. लेकिन इस दौरान भी वे अपना स्टार्टअप शुरू करने का सपना देखा करती थी. आखिरकार साल 2008 में उन्हें ई बुक्स पोर्टल की स्थापना करने का आइडिया आया. उसके बाद उन्होंने अभय अग्रवाल के साथ मिलकर इंस्टास्क्राइब की नींव रखी. यह प्लेटफॉर्म उन लेखकों की मदद करता है जो अपनी बुक को पब्लिश नहीं करवा पाए. वे लेखक इस मंच के द्वारा अपनी लिखी गई किताबें को ऑनलाइन पब्लिश करवा कर उन्हें अमेजॉन Kindle, एप्पल आई बुक स्टोर और अन्य प्लेटफार्म पर पब्लिश कर सकते हैं.
किताबों को डिजिटल बनाने के इस आईडिया के साथ ही काम करते हुए उन्होंने pothi.com की भी शुरुआत की. जो कई लेखक और पब्लिशर्स के लिए काफी सुविधाजनक और सस्ता विकल्प साबित हुआ. इन दोनों ही प्लेटफार्म को जय अपने कुछ साथियों के माध्यम से संभाल रही हैं. बेहतर मार्केटिंग रणनीति और यूजर्स फ्रेंडली पोर्टल्स के कारण यूजर्स की संख्या दोनों प्लेटफार्म पर बढ़ती जा रही है.
इसमें से इंस्टास्क्राइब की ख़ास बात यह है कि इसमें यूजर्स को पे व्हाट यू वांट प्लान मिलता है. इसकी सभी सुविधाएँ मुफ़्त हैं और जो कोई भी साइन अप करता है, उसे कम से कम तीन महीने तक मुफ़्त एक्सेस दिया जाता है. जिससे यह प्लेटफार्म का यूजर्स का पसंदीदा बन चुका है.
आज जया झा न केवल महिलाओं के लिए बल्कि उन युवाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं, अपने जीवन में कुछ करना चाहते हैं, . अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं.
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