भारत और पाकिस्तान के इस तनाव भरे माहौल में तुर्की के सेब अचानक विवाद का केंद्र बन चुके हैं। पाकिस्तानी समर्थक तुर्की के उत्पादों को भारत में बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है, खासकर सेब को। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया। जिसके बाद पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया। ऐसा कहा जा रहा है कि इस दौरान तुर्की द्वारा पाकिस्तान को सैन्य सहायता, जैसे ड्रोन की आपूर्ति आदि की गई। ये सामने आने के बाद भारत में बॉयकॉट तुर्की अभियान जोर पकड़ रहा है। इसी अभियान के अंतर्गत तुर्की के सेब को भी बॉयकॉट का सामना करना पड़ रहा है। भारत में कितनी है तुर्की के सेबों की डिमांड भारत केवल तुर्की से ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों से मिलाकर हर साल 3 से 5 लाख टन सेब का आयात करता है। हालांकि इसमें तुर्की का हिस्सा महत्वपूर्ण है। पिछले साल 2023-24 में भारत ने तुर्की से लगभग 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये मूल्य के 1.6 टन सेब का आयात किया था। तुर्की के सेब की डिमांड में 50% की गिरावटतुर्की के सेब विशेष रूप से अपनी गुणवत्ता और कीमत के कारण भारत में काफी लोकप्रिय रहते हैं। लेकिन हाल ही में उनका बहिष्कार बढ़ गया है जिसके कारण मांग में 50% तक की गिरावट दर्ज हुई है। बहिष्कार के कारण व्यापारी अब कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, वाशिंगटन, ईरान और न्यूजीलैंड से मंगवा रहे हैं। इससे तुर्की को बड़ा नुकसान होने की उम्मीद जताई जा रही है। भारतीय सेब उत्पादकों को फायदाअब जब भारत में तुर्की के सामानों के सहित तुर्की के सेवाओं का भी बहिष्कार किया जा रहा है तो इससे स्थानीय सेब उत्पादकों को फायदा होगा। भारत के सेब और तुर्की के सेब में क्या है अंतर भारत के सेब की तुलना में तुर्की के सेबों का दाम ज्यादा होता है। इस बहिष्कार के बाद तुर्की के सेवाओं की कीमत भारतीय बाजार में और बढ़ गई है। तुर्की के सब जैसे गाला और फूजी किस्में, अपनी एकसमान रंग, चमक और आकर के लिए जाने जाते हैं। भारत के सेब अलग-अलग आकारों में उपलब्ध होते हैं। भारतीय सेब की बनावट तुर्की के सेब जितनी चमकदार नहीं होती, लेकिन स्थानीय उत्पाद होने के कारण ये ताजा और सस्ते हो सकते हैं। तुर्की के सब आमतौर पर मीठे और रसदार होते हैं जिसके कारण यह भारतीय बाजार में ज्यादा डिमांड में रहते हैं। हालांकि कई बार इनका स्वाद थोड़ा नकली भी लग सकता है। हिमाचल और कश्मीर में उत्पन्न होने वाले सेब जैसे रॉयल डेलिशियस, गोल्डन डेलिशियस के स्वाद में विविधता पाई जाती हैं। कुछ किस्में मीठी होती हैं, तो कुछ में हल्की खटास होती है। तुर्की के सेबों की डिमांड भारतीय बाजारों में ऑफ सीजन में भी बनी रहती है। बात करें भारतीय सब की तो यह साल के कुछ महीनो में तो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं, लेकिन ऑफ सीजन में भारत में आयातित सेबों पर निर्भरता बढ़ जाती है। क्या है भारतीय सब व्यापारियों की रायभारतीय सब व्यापारी तुर्की के सब का बहिष्कार कर रहे हैं। कई व्यापारियों ने तुर्की से सेब मंगवाना बंद कर दिया है। इसकी जगह पर वह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और ईरान से सब मंगवा रहे हैं। इतना ही नहीं ग्राहक भी अब तुर्की से आए सामानों को नहीं खरीदना चाहते हैं। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का कहना है कि हमने तुर्की से सेब, केमिकल, मसाले, और ड्राई फ्रूट्स का व्यापार बंद करने का फैसला किया है।भारत-पाकिस्तान तनाव में पाकिस्तान को समर्थन देना तुर्की के लिए महंगा पड़ गया है। इस कदम से तुर्की को तो काफी नुकसान होगा लेकिन भारतीय सेब उत्पादकों यानी कश्मीर हिमाचल के किसानों को लाभ होने की संभावना है।
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