मानसून के दौरान दस्त या डायरिया एक सामान्य समस्या बन जाती है, जिससे अधिकांश लोग प्रभावित होते हैं। बार-बार पानी जैसा ढीला मल त्यागने से शरीर की स्थिति कमजोर हो सकती है, खासकर यदि उचित देखभाल न की जाए। हाल ही में, डॉ. रिद्धि पांडे ने दस्त के कारणों, लक्षणों और घरेलू उपचारों पर प्रकाश डाला है।
दस्त के बढ़ने के कारण
डॉ. रिद्धि पांडे के अनुसार, मानसून में तली-भुनी और मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ जाता है, जिससे पाचन तंत्र प्रभावित होता है। बाहर के खाने में पकौड़े, समोसे और ब्रेड पकौड़ा जैसी चीजें आम हैं, जो दस्त का कारण बन सकती हैं। सीमित मात्रा में ये खाद्य पदार्थ हानिकारक नहीं होते, लेकिन लगातार सेवन से लीवर की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है, जिससे पाचन में कठिनाई होती है।
सही खान-पान का ध्यान रखें
दस्त के उपचार में खान-पान पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। तली हुई और मसालेदार चीजों से बचना आवश्यक है। डॉ. पांडे का सुझाव है कि भोजन हल्का और सुपाच्य होना चाहिए, जिसमें सरसों का तेल शामिल किया जा सकता है। भारी खाद्य पदार्थों जैसे पूड़ी-पराठे से दूर रहना चाहिए।
दही और ईसबगोल का लाभ
दही में एक चम्मच ईसबगोल की भूसी मिलाकर खाने से दस्त में राहत मिलती है। यह घरेलू उपाय पेट की परत को मजबूत करता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है। इसे दिन में कम से कम एक बार लेना चाहिए, और आवश्यकता पड़ने पर दो बार भी लिया जा सकता है।
गैस और पेट दर्द के लिए नींबू-नमक पानी
डॉ. पांडे ने बताया कि दस्त और पेट की गैस से राहत पाने के लिए इनो या कोल्ड ड्रिंक से बचना चाहिए। इसके बजाय, गुनगुने पानी में नींबू और नमक मिलाकर पीना चाहिए। यह पेट की सूजन और दर्द में त्वरित राहत प्रदान करता है। जिन लोगों को बार-बार गैस की समस्या होती है, वे सुबह खाली पेट नींबू-नमक पानी पीकर अपनी पाचन क्रिया को सुधार सकते हैं।
ताजा पुदीने का उपयोग
बाजार में मिलने वाली पुदीने की गोलियों के बजाय ताजा पुदीने की पत्तियां अधिक लाभकारी होती हैं। पुदीना पेट को ठंडक पहुंचाता है और दस्त की समस्या को कम करता है। इसे आसानी से भोजन में शामिल किया जा सकता है।
दस्त से बचाव के उपाय
डॉ. पांडे ने साफ-सफाई पर जोर दिया है। कई बार दस्त की समस्या अस्वच्छता और गंदे पानी के कारण बढ़ जाती है। खाने-पीने की चीजों को सही तरीके से साफ करना और हाथ धोना बेहद जरूरी है। खान-पान को संयमित रखना चाहिए ताकि पाचन तंत्र मजबूत बना रहे।
कब डॉक्टर से संपर्क करें?
यदि दस्त अधिक समय तक बना रहे, शरीर में पानी की कमी हो रही हो, या तेज बुखार के साथ समस्या हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर रोगियों में डायरिया से होने वाली थकावट अधिक खतरनाक हो सकती है।
निष्कर्ष
मानसून के दौरान दस्त की समस्या से बचने और उपचार के लिए घरेलू उपाय जैसे दही और ईसबगोल का उपयोग प्रभावी साबित होता है। इसके अलावा, नींबू-नमक पानी और ताजा पुदीने की पत्तियां भी राहत प्रदान करती हैं। स्वस्थ और सावधानीपूर्वक खान-पान अपनाकर हम इस बीमारी के प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
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