हाल ही में, सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से फैली है कि रतन टाटा, जो टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन हैं और भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक माने जाते हैं, का निधन हो गया है। इसके साथ ही, महात्मा गांधी की जगह रतन टाटा की तस्वीर वाले भारतीय करेंसी नोटों की तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं। लेकिन क्या ये दावे सच हैं? आइए जानते हैं।
भारतीय करेंसी पर रतन टाटा की तस्वीरें: क्या है सच?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अक्सर ऐसी अफवाहें फैलती हैं। हालिया दावे के अनुसार, भारतीय करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर को रतन टाटा की तस्वीर से बदलने की योजना बनाई जा रही है। वायरल हो रही तस्वीरों में 500, 200 और 100 रुपये के नोट शामिल हैं। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) या सरकार ने इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है।
आरबीआई का स्पष्टीकरण
भारतीय मुद्रा के डिजाइन और मुद्रण का कार्य RBI के जिम्मे है। अभी तक, महात्मा गांधी की तस्वीर को रतन टाटा की तस्वीर से बदलने का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इसलिए, ये वायरल दावे पूरी तरह से गलत हैं और इन्हें फर्जी खबर माना जाना चाहिए।
फर्जी नोट की उत्पत्ति
रतन टाटा की तस्वीर वाले 500 रुपये के नोट की वायरल तस्वीर 2 नवंबर, 2024 को एक यूजर द्वारा साझा की गई थी। इस नोट में लाल किले और टाटा समूह के मुख्यालय की तस्वीरें थीं। जब इस गलत सूचना का पता चला, तो मूल निर्माता ने स्पष्ट किया कि यह केवल एक रचनात्मक कलाकृति थी।
क्या रतन टाटा की तस्वीर वाले नोट बाजार में आएंगे?
वायरल तस्वीरों में रतन टाटा की तस्वीर वाले 500, 200 और 100 रुपये के नोट दिखाए गए हैं। दावा किया जा रहा है कि सरकार और RBI इन नोटों को बाजार में लाने की योजना बना रहे हैं। लेकिन इस पर किसी भी आधिकारिक स्रोत से पुष्टि नहीं हुई है।
महात्मा गांधी की तस्वीर कब छपी थी?
महात्मा गांधी की छवि पहली बार 1969 में उनके जन्म शताब्दी के अवसर पर भारतीय मुद्रा पर दिखाई दी थी। इसके बाद, 1996 में RBI ने उनके चित्र वाले नोटों की एक नई श्रृंखला जारी की, जो सुरक्षा सुविधाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से थी।
महात्मा गांधी से पहले किसका नाम था?
महात्मा गांधी से पहले भारतीय मुद्रा पर ग्रेट ब्रिटेन के राजा जॉर्ज VI की छवि थी। 1947 में स्वतंत्रता के बाद, इस छवि को भारत का प्रतीक बदलने की योजना बनाई गई थी। अंततः, सारनाथ से अशोक के सिंह स्तंभ को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में चुना गया।
निष्कर्ष
सोशल मीडिया पर अक्सर गलत सूचनाएँ फैलती हैं, इसलिए मुद्रा परिवर्तन के बारे में सरकार और RBI की आधिकारिक घोषणाओं पर भरोसा करना आवश्यक है। भारतीय बैंक नोटों पर महात्मा गांधी की जगह रतन टाटा की छवि होने का दावा पूरी तरह से गलत है। नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी खबर पर विश्वास करने से पहले उसकी पुष्टि करें।
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