दुनिया में विभिन्न प्रकार के लोग होते हैं, कुछ अच्छे और कुछ बुरे। यह कहा जाता है कि हर इंसान में भगवान और शैतान दोनों का वास होता है। इस कलयुग में जहां बुराई की मिसालें आम हैं, वहीं आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताएंगे, जिसने मानवता की एक नई परिभाषा प्रस्तुत की है।
पिता का चालान और बेटे की मेहनत
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में एआरटीओ आरसी भारती का एक मानवीय चेहरा सामने आया है। हाल ही में एआरटीओ कार्यालय में एक घटना घटी, जिसने सभी को भावुक कर दिया।
पुरंदरपुर थाना क्षेत्र के सिंहपुर ताल्ही गांव के विजय कुमार नामक युवक के पिता, राजकुमार, एक ऑटो चालक हैं। हाल ही में उनका 24,500 रुपए का चालान काटा गया था, जिसे भरने के लिए विजय ने एआरटीओ कार्यालय का रुख किया।
मां का मंगलसूत्र बेचकर चालान भरने की कोशिश
विजय ने अपनी मां का मंगलसूत्र बेचकर चालान की राशि जुटाने की कोशिश की, लेकिन फिर भी उसके पास पैसे कम पड़ गए। जब वह एआरटीओ कार्यालय पहुंचा, तो उसकी परेशानी देखकर एआरटीओ ने उसे बुलाया और उसकी समस्या पूछी।
एआरटीओ की दरियादिली
विजय ने बताया कि उसके पिता को एक आंख से कम नजर आता है और परिवार में छह बहनें हैं। जब एआरटीओ ने उसकी पूरी कहानी सुनी, तो उन्होंने अपनी सैलरी से चालान की राशि भरने का निर्णय लिया और साथ ही विजय की पढ़ाई का खर्च उठाने की पेशकश भी की।
सभी ने की सराहना
विजय ने बताया कि वह मजदूरी करता है और हाई स्कूल की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर सका। एआरटीओ की इस दरियादिली ने सभी को प्रभावित किया और कार्यालय में मौजूद सभी लोगों ने उनकी प्रशंसा की।
हालांकि, एआरटीओ आरसी भारती ने मीडिया से ज्यादा बात नहीं की, बस इतना कहा कि उन्होंने विजय की पीड़ा सुनी और इसलिए जुर्माना खुद भरने का निर्णय लिया।
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