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इटली का खोया हुआ गांव: क्यूरोन की अद्भुत कहानी

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गांवों का महत्व और क्यूरोन की कहानी

हम चाहे कितनी भी प्रगति कर लें, यहां तक कि मंगल और चांद पर भी बसने की कोशिश करें, लेकिन धरती पर गांवों का महत्व हमेशा रहेगा। मेट्रो शहरों की भागदौड़ में हम भले ही लगे हों, लेकिन गांवों में जो शांति और सुकून है, वह कहीं और नहीं मिल सकता। गांवों का एक अनूठा सामाजिक और पर्यावरणीय वातावरण होता है, जो बड़े शहरों में नहीं पाया जा सकता। कोरोना महामारी ने यह साबित कर दिया कि भीड़-भाड़ वाले शहरों की तुलना में गांवों का खुला वातावरण कहीं बेहतर है। आइए, हम एक ऐसे गांव की चर्चा करते हैं, जो लगभग 71 वर्षों तक मानचित्र से गायब रहा। जब इसका पता चला, तो यह एक चौंकाने वाला अनुभव था।



यह गांव इटली का है, जो 71 वर्षों तक नक्शे से गायब रहा। आप सोच रहे होंगे कि कोई गांव कैसे अचानक गायब हो सकता है। यह सच है कि इटली का यह गांव वास्तव में 71 साल तक अदृश्य रहा। 1950 में, जलविद्युत संयंत्र के निर्माण के लिए दो झीलों को मिलाने के कारण यह गांव 'क्यूरोन' पूरी तरह से डूब गया।


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जब जलाशय का निर्माण हुआ, तो क्यूरोन गांव के सैकड़ों घर जलमग्न हो गए। इसके परिणामस्वरूप, लगभग 400 लोग पास के नए गांव में चले गए, जबकि 600 लोग दूर चले गए।


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दशकों बाद, जब इटली के दक्षिण टायरॉल में जलाशय की मरम्मत का कार्य शुरू हुआ, तो अस्थाई रूप से जल को सुखाने पर क्यूरोन के अवशेष सामने आए। मार्को बालजानो नामक लेखक ने इस गांव पर एक उपन्यास लिखा, जिसमें उन्होंने इस गांव की यादों को कष्टदायक बताया। इसके अलावा, 2020 में नेटफ्लिक्स पर 'क्यूरोन' नामक एक ड्रामा भी प्रसारित हुआ। यह दर्शाता है कि गांवों की अहमियत हर जगह है और कैसे व्यक्ति की यादें अपने गांव से जुड़ी होती हैं।


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