आज हम आपको ऐसी औषध के बारे में बताएँगे जो शरीर के अँगो को पुनः नया जीवन दे सकती है, जो कैन्सर के मरीज़ों के लिए आयुर्वेद जगत की संजीवनी है जिसका नाम पुनर्नवा है। पुर्ननवा संस्कृत के दो शब्द पुनः अर्थात ‘फिर’ और नव अर्थात ‘नया’ से बना है।
पुर्ननवा औषधि में भी अपने नाम के अनुरूप ही शरीर को पुनः नया कर देने वाले गुण पाए जाता है। इसलिए इसे रोगों से लड़ने से लेकर कैंसर के इलाज तक में उपयोग किया जाता है।इसकी 1 चम्मच भोजन के साथ अर्थात सब्जी में मिलाकर सेवन करने से बुढापा नही आता अर्थात बूढ़ा व्यक्ति भी जवाँ बना रहता है क्योंकि इससे शरीर के सभी अंग का पुनः नयी कोशिका का निर्माण होता रहता है। ‘शरीर पुनर्नवं करोति इति पुनर्नवा’ जो अपने रक्तवर्धक एवं रसायन गुणों द्वारा सम्पूर्ण शरीर को अभिनव स्वरूप प्रदान करे, वह है ‘पुनर्नवा’। यह हिन्दी में साटी, साँठ, गदहपुरना, विषखपरा, गुजराती में साटोड़ी, मराठी में घेटुली तथा अंग्रेजी में ‘हॉगवीड’ नाम से जानी जाती है।
मूँग या चने की दाल मिलाकर इसकी बढ़िया सब्जी बनती है, जो शरीर की सूजन, मूत्ररोगों (विशेषकर मूत्राल्पता), हृदयरोगों, दमा, शरीरदर्द, मंदाग्नि, उलटी, पीलिया, रक्ताल्पता, यकृत व प्लीहा के विकारों, बुढ़ापे को रोकता है, जवाँ बनाएंआदि में फायदेमंद है। इसके ताजे पत्तों के 15-20 मि.ली. रस में चुटकी भर काली मिर्च व थोड़ा-सा शहद मिलाकर पीना भी हितावह है । भारत में यह सब्जी सर्वत्र पायी जाती है।
पुनर्नवा का शरीर पर होने वाला रसायन कार्य :
दूध, अश्वगंधा आदि रसायन द्रव्य रक्त-मांसादि को बढ़ाकर शरीर का बलवर्धन करते हैं परंतु पुनर्नवा शरीर में संचित मलों को मल-मूत्रादि द्वारा बाहर निकालकर शरीर के पोषण का मार्ग खुला कर देती है ।बुढ़ापे में शरीर में संचित मलों का उत्सर्जन यथोचित नहीं होता । पुनर्नवा अवरूद्ध मल को हटाकर हृदय, नाभि, सिर, स्नायु, आँतों व रक्तवाहिनियों को शुद्ध करती है, जिससे मधुमेह, हृदयरोग, दमा, उच्च रक्तदाब आदि बुढ़ापे में होनेवाले कष्टदायक रोग उत्पन्न नहीं होते। यह हृदय की क्रिया में सुधार लाकर हृदय का बल बढ़ाती है । पाचकाग्नि को बढ़ाकर रक्तवृद्धि करती है । विरूद्ध आहार व अंग्रेजी दवाओं के अतिशय सेवन से शरीर में संचित हुए विषैले द्रव्यों का निष्कासन कर रोगों से रक्षा करती है।
बाल रोगों में लाभकारी पुनर्नवा शरबत :
पुनर्नवा के पत्तों के 100 ग्राम स्वरस में मिश्री चूर्ण 200 ग्राम व पिप्पली (पीपर) चूर्ण 12 ग्राम मिलाकर पकायें तथा चाशनी गाढ़ी हो जाने पर उसको उतार के छानकर शीशी में रख लें । इस शरबत को 4 से 10 बूँद की मात्रा में (आयु अनुसार) रोगी बालक को दिन में तीन-चार बार चटायें । खाँसी, श्वास, फेपडों के विकार, बहुत लार बहना, जिगर बढ़ जाना, सर्दी-जुकाम, हरे-पीले दस्त, उलटी तथा बच्चों की अन्य बीमारियों में बाल-विकारशामक औषधि कल्प के रूप में इसका उपयोग बहुत लाभप्रद है ।
पुनर्नवा के 25 चमत्कारी फायदे :
पुनर्नवा रक्तशोधन में उपयोग किया जाता है। यह रक्त से विषैले पदार्थों को दूर कर कई रोगों को नष्ट कर देता है। पुनर्नवा का उपयोग जोड़ों के दर्द से निजात दिलाता है। यह किसी भी तरह के आर्थराइटिस में उपयोगी साबित होता है। पुनर्नवा शरीर को ऊर्जा देता है। यह मांसपेशियों को मज़बूत कर कमज़ोरी और दुबलापन दूर करता है। पुनर्नवा पेट से जुडी बीमारियों को दूर करता है। आँतों में ऐठन, अपच और पेट में ज़रूरी अम्लों की कमी जैसे रोगों में यह जल्द आराम दिलाता है।
किसी भी तरह के चर्मरोग जैसे दाग, धब्बे, छाई , चोट के निशान आदि पर पुनर्नवा के जड़ को पीस कर लेप बनाकर लगाएं। कुछ ही दिनों में आप रोग को दूर होता पाएंगे। पुनर्नवा उपयुक्त वज़न बनाये रखने में मदद करता है। यह अतरिक्त वसा कम करता है तथा दुबलेपन को भी दूर करता है। पुनर्नवा का नियमित सेवन मूत्रप्रवाह को सुचारू कर शरीर को स्वस्थ और स्वच्छ रखता है। यह कोशिकाओं में तरल पदार्थ के प्रवाह को भी बेहतर करता है। ये कैन्सर के मरीज़ों के लिए आयुर्वेद जगत की सबसे अद्भुत औषधि है क्यूँकि ये नयी कोशिकाएँ बनाती है। ये नयी कोशिकाएँ कैन्सर से लड़ने में शक्ति प्रदान करती है। पैरालिसिस, शरीर के किसी विशेष हिस्से का सुन्न पड़ना और मांसपेशियों में कमज़ोरी आना जैसी समस्याएं भी पुनर्नवा के सेवन से दूर होती है।
You may also like
कौवे का आना: शुभ संकेत या अशुभ? जानिए पुरानी मान्यताओं और रहस्यों के बारे में विस्तार से
पहेली: पेड़ से आम गिरा, अंधा, गूंगा, लंगड़ा और बहरा पास बैठे हैं, पहले आम कौन उठाएगा? ⤙
Landline Now Streaming on Amazon Prime Video: All You Need to Know
कैस्पर स्मार्ट को कानूनी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है
IPL 2025: MI vs LSG मैच के दौरान कैसा रहेगा वानखेड़े स्टेडियम की पिच का मिजाज, पढ़ें ये रिपोर्ट