जाने अनजाने में हाथ पैर में चोट लगती रहती है। मगर चोट लगने के बाद खून का बंद न होना आम बात नहीं है। हालांकि कई लोग होते हैं जो चोट लगने के बाद सूजन और खून बहने को बिल्कुल इग्नोर कर देते हैं। ऐसे में अगर आप भी चोट से लगातार खून बहने को नजरअंदाज करते हैं तो ये आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
बता दें कि लगातार खून बहना हीमोफीलिया का संकेत होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि तकरीबन 2 लाख लोगों को ये समस्या होती है, मगर जागरूकता में कमी होने की वजह से लोग इसे पहचान नहीं पाते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं आखिर क्या है ये बीमारी और क्या है इसका इलाज….
क्या है हीमेटोमा?हीमेटोमा के कारण चोट लगने पर खून रक्त वाहिका, धमनी, नस या केशिका से निकलकर बाहर की ओर जमा हो जाता है। इसमें खून बेहद कम, कुछ बूंद या बहुत अधिक निकल सकता है। हीमेटोमा के कारण कई बार शरीर में खून की भारी कमी भी हो जाती है। ऐसे में अगर इस पर ध्यान न दिया जाए तो ये कई बार जानलेवा भी हो सकता है।

- कई बार हीमेटोमा आनुवांशिक होता है। यानी अगर आपके परिवार में पहले ये बीमारी किसी को रही हो तो आपको भी ये हो सकता है।
- शरीर में गहरे चोट लगना भी हीमेटोमा का एक कारण है।
- अगर आपके शरीर में ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर की कमी होती है, तो आपको हीमेटोमा का खतरा हो सकता है।
- खून के थक्के बनना भी हीमेटोमा का एक कारण है।
- हीमेटोमा के कारण प्रभावित हिस्से में तेज दर्द, सूजन लालिमा और छाले भी पड़ जाते हैं।
- सबडुरल हीमेटोमा में सिर दर्द, नर्व्स संबंधी समस्या या मिर्गी भी हो सकता है।
- एपिडुरल हीमेटोमा में कमर दर्द, कमजोरी और कब्ज भी हो सकता है।
- सबअंगुअल हीमेटोमा का लक्षण नाखूनों का बार बार टूटना, शरीर दर्द और कमजोरी होता है।
- अचानक ब्लीडिंग होना, यूरिन से खून खाना, त्वचा पर गहरे नीले घाव पड़ना, बिना चोट लगे ही शरीर नीला होना। साथ ही स्वभाव में चिड़चिड़ाहट आना जैसी समस्याएं भी हो सकती है।
दरअसल हीमेटोमा की गंभीरता के आधार पर उसका इलाज होता है। इसके इलाज में ये देखा जाता है कि प्रभावित हिस्सा कितना गंभीर है। कहा जाता है कि हीमेटोमा के कुछ मामले में इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। वहीं कुछ मामले इतने गंभीर होते हैं कि सर्जरी की जरूरत पड़ जाती है।
- अगर हीमेटोमा से पीड़ित हैं तो जितना हो सके अधिक से अधिक शारीरिक मेहनत करें। ऐसा इसलिए क्योंकि फिजिकल एक्टिविटी करने से ब्लड सर्कुलेशन सही बना रहता है और खून के थक्के नहीं बनते हैं।
- ऐसी दवाईयों से परहेज करें, जिससे खून गाढ़ा होता है। इस तरह की दवाईयों से आपकी परेशानी बढ़ेगी।
- महीने में कम से कम 2 बार खून और डेंटल चेकअप अवश्य कराएं।
- ऐसी कोई भी गतिविधि ना करें, जिससे चोट लगने की संभावना हो।
- अपने खान पान में जितना हो सके हरी सब्जी, फल, सूखे मेवे और अंजीर जैसे हेल्दी चीचों को शामिल करते हुए संतुलित आहार लें।
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