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वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कॉर्पोरेट्स गवर्नेंस में विफलताओं को रोकना जरूरी : तुहिन कांत पांडे

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मुंबई, 17 अप्रैल . सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने गुरुवार को कहा कि कॉर्पोरेट्स को उच्च शासन मानकों को सुनिश्चित करना चाहिए, क्योंकि किसी भी विफलता का बाजार अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है.

सीआईआई कॉरपोरेट गवर्नेंस समिट को संबोधित करते हुए, बाजार नियामक प्रमुख ने कहा कि वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस में विफलताओं को रोकना आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि सेबी गवर्नेंस के उच्च मानकों की अपेक्षा करना जारी रखेगा, लेकिन सच्चा और स्थायी बदलाव कॉर्पोरेट बोर्डरूम के भीतर से आना चाहिए.

पांडे ने कहा कि बाजार में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सेबी ने कुछ सूचनाओं को समय-समय पर जारी करने के निर्देश जारी किए हैं, जैसे कि तिमाही आधार पर शेयर होल्डिंग पैटर्न, कॉर्पोरेट गवर्नेंस आवश्यकताओं का अनुपालन, फाइनेंशियल रिजल्ट और फंड की मूवमेंट आदि.

उन्होंने कहा, “सूचनाओं को प्रकट करने, बोर्ड स्ट्रक्चर्स और निगरानी तंत्रों को अनिवार्य कर हमारा लक्ष्य सेल्फ-रेगुलेटिंग एनवायरमेंट बनाना है, जो नैतिक और जिम्मेदार कॉर्पोरेट व्यवहार को प्रोत्साहित करता है.

सेबी प्रमुख ने उद्योग जगत को अनुपालन, रिपोर्टिंग, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और उद्यमों की परिचालन दक्षता में सुधार के लिए आरईजी टेक सॉल्यूशन अपनाने को कहा.

आरईजी टेक सॉल्यूशन व्यवसायों की मदद करते हैं. साथ ही व्यवसाय अनुपालन प्रक्रियाओं को स्वचालित करने, लागत कम करने और जोखिम प्रबंधन में सुधार करने के लिए एआई, मशीन लर्निंग और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी तकनीक का लाभ उठा सकते हैं.

पांडे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सेबी और बाजार एक्सचेंज बेहतर पर्यवेक्षण के लिए उपयुक्त तकनीक समाधानों का उपयोग कर रहे हैं.

नियामकों द्वारा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बाजार के दुरुपयोग और गैर-अनुपालन के शुरुआती संकेतों का पता लगाने में बहुत मददगार रहा है.

उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति का इस्तेमाल कर विनियमित संस्थाओं के बीच निरंतर अनुपालन की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सकता है.

उन्होंने यह भी कहा कि विनियमन और व्यापार करने में आसानी के बीच संतुलन की जरूरत है.

सेबी प्रमुख ने कहा, “हम जानते हैं कि ज्यादा रेगुलेशन से विकास और इनोवेशन में बाधा आ सकती है. साथ ही, बहुत कम विनियमन से हितधारकों के विश्वास में कमी आ सकती है और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए, बैलेंस बनाए रखने की जरूरत है.”

एसकेटी/

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