New Delhi, 20 सितंबर . आज के दौर में, जब विश्व अशांति और अनिश्चितता के भंवर में फंसा हुआ है, शांति की स्थापना के लिए एकजुट होकर ठोस कदम उठाना पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है. रूस-यूक्रेन की जंग हो, या इजरायल की अपने दुश्मन देशों के साथ लड़ाई, ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं जो दर्शाते हैं कि विश्व अशांति की ओर बढ़ रहा है. कई देश छोटी-सी घटना पर युद्ध के कगार पर पहुंच जाते हैं.
युद्ध अब सिर्फ गोला-बारूद तक सीमित नहीं है, बल्कि कई देश मानव हितों से परे जाकर दूसरों को व्यापारिक और आर्थिक दृष्टि से संकट में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में, शांति का संदेश देना हर किसी के हित में है, और अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस यही संदेश लेकर हर साल हमारे सामने आता है.
यह विशेष दिवस हर साल 21 सितंबर को मनाया जाता है. इस दिन को पहली बार 44 साल पहले दुनिया में शांति की संस्कृति के निर्माण के लिए एक साझा तिथि के रूप में घोषित किया गया था. 1981 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 36/67 के जरिए इसे मान्यता दी गई थी.
सितंबर 1982 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस मनाया गया था. फिर हर साल सितंबर के तीसरे Tuesday को इसे मनाया जाता था.
संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव में इसे ‘सभी राष्ट्रों और लोगों के भीतर और उनके बीच शांति के आदर्शों को स्मरण और सुदृढ़ करने’ का दिन घोषित किया गया था. बीस साल बाद, 2001 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक दूसरा प्रस्ताव पारित किया, जिसमें इस दिन को अहिंसा और युद्धविराम का दिन घोषित किया गया, जिसमें संवाद, संघर्ष समाधान और शांति शिक्षा को बढ़ावा देते हुए शत्रुता की समाप्ति की वकालत की गई. उसी साल इसे 21 सितंबर की एक निश्चित तारीख पर स्थानांतरित कर दिया गया था.
इस दिन का उद्देश्य हिंसा को कम करना और दुनिया भर में शांति के आदर्शों को मजबूत करना है. वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में, जहां युद्ध और हिंसा के कारण इतने सारे लोग पीड़ित हैं कि अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है.
हर साल, संयुक्त राष्ट्र इस विशेष दिवस के लिए एक अलग विषय चुनता है. इस साल अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की थीम ‘शांतिपूर्ण विश्व के लिए अभी कार्य करें’ है और यह ऐसे समय में मनाया जा रहा है, जब द्वितीय विश्व युद्ध के ठीक बाद संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 80 साल पूरे हो रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस खुद मानते हैं कि दुनियाभर में युद्ध की क्रूरता और अपमान के बीच जिंदगियां बिखर रही हैं, बचपन खत्म हो रहा है और बुनियादी मानवीय गरिमा का हनन हो रहा है.
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस को लेकर एंटोनियो गुटेरेस एक लेख में लिखते हैं, “संघर्ष की अग्रिम पंक्ति में तैनात शांति सैनिकों से लेकर समुदाय के सदस्यों और दुनिया भर के कक्षाओं के छात्रों तक, सभी की अपनी भूमिका है. हमें हिंसा, नफरत, भेदभाव और असमानता के खिलाफ आवाज उठानी होगी, सम्मान का अभ्यास करना होगा और अपनी दुनिया की विविधता को अपनाना होगा.”
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डीसीएच/जीकेटी
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