क्वेटा, 5 सितंबर . बलूचिस्तान में जबरन गुमशुदगियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन ने Friday को खुलासा किया कि पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने अलग-अलग छापों के दौरान कम से कम 11 बलूच नागरिकों को अगवा कर लिया.
बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के मानवाधिकार विभाग ‘पांक’ के अनुसार Wednesday और Thursday को डेरा बुगटी और पीरकोह क्षेत्र से 11 लोगों को जबरन गायब किया गया.
जानकारी के मुताबिक, Wednesday को डेरा बुगटी शहर से वसीम, मोहम्मद जान, मोहम्मद हुसैन और कलीरो नामक चार व्यक्तियों को उठाया गया. इसके अलावा, Thursday रात पीरकोह इलाके से अली हुसैन, अब्दुल सत्तार, बलक शेर, अत्ता मोहम्मद, नवाब खान, सिद्दीक और गुलजार सहित सात लोगों को अगवा कर लिया गया.
बलूच रिपब्लिकन पार्टी (बीआरपी) के मीडिया सेल ने दावा किया कि स्थानीय लोगों ने पुष्टि की है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) अवैध रूप से लोगों को हिरासत में लेकर उन्हें नवाब ब्रह्मदाग बुगटी का समर्थक करार दे रहे हैं.
बीआरपी ने आरोप लगाया कि अधिकारी स्थानीय ‘वडेरों’ या डेथ स्क्वाड्स के जरिए करोड़ों रुपये की फिरौती मांगते हैं. जिन परिवारों से फिरौती मिल जाती है, उनके अपहृत सदस्य रिहा कर दिए जाते हैं, जबकि जिनसे नहीं मिलती, उन्हें सालों तक बिना न्याय के हिरासत में रखा जाता है.
इधर, कराची प्रेस क्लब के बाहर एक बलूच परिवार अपने लापता बेटे की रिहाई की मांग को लेकर लगातार 32वें दिन धरने पर बैठा रहा. बलूच यकजेहती कमेटी (बीवाईसी) ने बताया कि कराची विश्वविद्यालय का छात्र 25 वर्षीय जाहिद अली को 17 जुलाई को पाकिस्तानी बलों ने जबरन गायब कर दिया था. वह पार्ट-टाइम रिक्शा भी चलाता था, जिसे भी जब्त कर लिया गया.
बीवाईसी ने कहा कि जाहिद के पिता अब्दुल हमीद अपनी बिगड़ती सेहत के बावजूद कैंप छोड़ने से इनकार कर रहे हैं और बेटे की सुरक्षित वापसी की मांग पर डटे हुए हैं.
इसके अलावा, इस्लामाबाद में भी कई बलूच परिवार बीवाईसी नेताओं की रिहाई और जबरन गुमशुदगियों के खिलाफ Friday को लगातार 52वें दिन धरना देते रहे.
बीवाईसी ने कहा, “करीब दो महीनों से महिलाएं, बुजुर्ग, माताएं और बच्चे भीषण गर्मी, भारी बारिश, उत्पीड़न और निगरानी सहते हुए भी डटे हुए हैं. उनकी मांग बेहद सीधी है. बलूच यकजेहती कमेटी नेताओं की रिहाई और बलूचिस्तान में जबरन गुमशुदगियों का अंत.”
संगठन ने आरोप लगाया कि लंबे विरोध प्रदर्शन के बावजूद पाकिस्तानी प्रशासन ने नेशनल प्रेस क्लब तक पहुंच रोक दी है, कैंप की अनुमति नहीं दी जा रही है और प्रदर्शनकारियों को डराने-धमकाने का सिलसिला जारी है, बजाय इसके कि उनकी जायज मांगों पर ध्यान दिया जाए.
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डीएससी/
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