New Delhi, 28 अगस्त . आज की भागदौड़ और तनाव से भरी जिंदगी में लोग पेट से जुड़ी कई समस्याओं से परेशान रहते हैं, जैसे कब्ज, गैस, अपच, सूजन, भारीपन और भूख न लगना. आयुष मंत्रालय ने Thursday को अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक बेहद सरल और कारगर योगासन ‘पवनमुक्तासन’ के बारे में जानकारी साझा की है. इस पोस्ट में बताया गया है कि कैसे यह आसन पाचन को दुरुस्त करने से लेकर पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने तक, शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाता है.
पवनमुक्तासन संस्कृत के तीन शब्दों से मिलकर बना है… ‘पवन’ यानी हवा, ‘मुक्त’ यानी छोड़ना, और ‘आसन’ यानी योग की मुद्रा. इसका मतलब यह ऐसा योगासन है जो शरीर से गैस या अपच को बाहर निकालने में मदद करता है. यही कारण है कि इसे अंग्रेजी में ‘वाइंड रिलिजिंग पोज’ भी कहा जाता है.
आयुष मंत्रालय के मुताबिक, पवनमुक्तासन सबसे पहले कब्ज और गैस जैसी समस्याओं में बेहद फायदेमंद है. जब हम इस आसन को करते हैं, तो पेट के हिस्से पर दबाव बनता है जिससे आंतों की हल्की मालिश होती है. इससे पाचन तंत्र सक्रिय हो जाता है और पेट में जमा गैस आसानी से बाहर निकल जाती है. जिन लोगों को बार-बार पेट फूलने या गैस बनने की दिक्कत रहती है, उनके लिए यह योगासन एक तरह का प्राकृतिक इलाज है.
यह पाचन क्रिया और पेट की सूजन को कम करता है. कई बार हम जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं या फिर तले-भुने चीजों का सेवन ज्यादा कर लेते हैं, जिससे पाचन गड़बड़ हो जाता है और पेट फूला-फूला लगता है. पवनमुक्तासन करने से पेट के अंग, जैसे आमाशय, लिवर, आंतें और पैंक्रियाज पर हल्का दबाव पड़ता है. इससे खाना जल्दी और सही तरह से पचता है और अपच की दिक्कत नहीं होती.
आयुष मंत्रालय के अनुसार, पवनमुक्तासन रीढ़ की हड्डी और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है. जब हम घुटनों को सीने की ओर खींचते हैं और सिर को ऊपर उठाकर घुटनों से मिलाने की कोशिश करते हैं, तब पीठ के निचले हिस्से पर खिंचाव आता है. यह खिंचाव पीठ की मांसपेशियों की एक्सरसाइज की तरह काम करता है, जिससे वहां का खून का बहाव बेहतर होता है और नसों को पोषण मिलता है. इससे पीठ दर्द में राहत मिलती है, खासकर उन लोगों को जो दिनभर कंप्यूटर या लैपटॉप के आगे बैठकर काम करते हैं.
इसके साथ ही यह आसन शरीर के कोर मसल्स यानी पेट, कमर और पेल्विक हिस्से की मांसपेशियों को टोन करता है. इन हिस्सों की मांसपेशियां जब मजबूत होती हैं, तो शरीर का संतुलन बेहतर होता है और थकावट कम लगती है. यह खासकर महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है, क्योंकि यह आसन पेल्विक हिस्से की ताकत बढ़ाकर मासिक धर्म से जुड़ी परेशानियों में भी मदद कर सकता है.
हालांकि, आयुष मंत्रालय ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर किसी को हर्निया, सायटिका, गंभीर पीठ दर्द, या गर्भावस्था है, तो उसे यह आसन नहीं करना चाहिए. किसी भी योग अभ्यास से पहले डॉक्टर या प्रमाणित योग शिक्षक से सलाह लेनी चाहिए.
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पीके/केआर
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