New Delhi, 19 अगस्त . बीजू जनता दल (बीजद) के एक प्रतिनिधिमंडल ने पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष देबी प्रसाद मिश्रा के नेतृत्व में Tuesday को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार से New Delhi में मुलाकात की.
प्रतिनिधिमंडल ने कथित तौर पर भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को 2024 के राज्य विधानसभा और Lok Sabha चुनावों के दौरान कथित मतदान विसंगतियों के संबंध में पार्टी की आपत्तियों से अवगत कराया है.
प्रतिनिधिमंडल में डॉ. अमर पटनायक (पूर्व सांसद), संजय दास बर्मा (पूर्व मंत्री), प्रमिला मलिक (पूर्व अध्यक्ष), निरंजन पुजारी (पूर्व अध्यक्ष), सुलता देव (सांसद), डॉ. प्रियब्रत माझी (मीडिया समन्वयक) और भृगु बक्सीपात्रा (वरिष्ठ महासचिव, बीजद) शामिल थे.
बीजू जनता दल ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि बीजद प्रतिनिधिमंडल ने 2024 में एक साथ हुए पिछले आम और विधानसभा चुनावों के दौरान डाले गए और गिने गए मतों की संख्या में अस्पष्ट और असामान्य भिन्नता, सांसद और विधायक वर्ग के मतों की गणना में विसंगतियों और शाम 5 बजे के बाद मतदान प्रतिशत में अचानक वृद्धि पर अपनी आपत्ति दोहराई. ये चिंताएं पहले ही चुनाव आयोग के सामने पूर्व चर्चाओं के दौरान उठाई जा चुकी है और दिसंबर 2024 में एक ज्ञापन के माध्यम से औपचारिक रूप से प्रस्तुत की गई थीं.
प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय चुनाव अधिकारियों से लेकर शीर्ष स्तर तक लगातार प्रयासों के बावजूद फॉर्म 17सी न मिलने पर भी चिंता व्यक्त की. चुनाव आयोग ने आश्चर्य व्यक्त किया और स्वीकार किया कि फॉर्म 17सी उपलब्ध कराया जाना चाहिए था.
एक जिम्मेदार राजनीतिक दल होने के नाते, बीजद प्रतिनिधिमंडल ने भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए, जिसमें बताया गया कि उपलब्ध आंकड़े मतदान में अनियमितताओं की ओर इशारा करते हैं और चुनावी प्रक्रिया की वैधता और निष्पक्षता पर चिंता जताई.
प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया कि ये सवाल लोकतांत्रिक मूल्यों को मज़बूत करने के लिए उठाए जा रहे हैं. कई निर्वाचन क्षेत्रों, खासकर जाजपुर संसदीय क्षेत्र में अपारदर्शी चुनाव प्रक्रिया का विशेष उल्लेख किया गया.
मतदाता सूची तैयार करने के संबंध में प्रतिनिधिमंडल ने सुझाव दिया कि इसमें सुधार किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी वैध मतदाता, विशेषकर प्रवासी और अस्थायी कर्मचारी, मताधिकार से वंचित न रहे.
बीजद नेता देबी प्रसाद मिश्रा ने कहा कि चूंकि अप्रवासी भारतीय धारा 20ए(1-सी) के प्रावधानों के अनुसार भारत में अपने मूल निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के हकदार हैं, इसलिए ओडिशा के बाहर काम करने वाले प्रवासी और अस्थायी कर्मचारियों के प्रति कठोर रुख नहीं अपनाया जाना चाहिए. ऐसा करने से उनके मूल गांवों में सामाजिक-सांस्कृतिक वैमनस्य पैदा हो सकता है यदि उन्हें मताधिकार से वंचित किया जाता है.
देबी प्रसाद मिश्रा के इस सुझाव की चुनाव आयोग ने सराहना की और आश्वासन दिया कि वह नामांकन के लिए अधिक समय और अधिक अवसर प्रदान करेगा.
प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के रवैये पर भी अपनी नाराजगी जताई, जहां चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी केवल बूथ एजेंटों, मतगणना एजेंटों और मतदान एजेंटों पर डाल दी गई. यह मुद्दा बीजद द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए दूसरे ज्ञापन में पहले ही उठाया जा चुका था.
ओडिशा में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर डॉ. अमर पटनायक ने चुनाव आयोग के समक्ष यह मुद्दा उठाया कि अगर बिहार जैसा ही रवैया अपनाया जाता है तो बीजद इसके कार्यान्वयन का कड़ा विरोध करेगा. उन्होंने कहा कि बिहार में कथित तौर पर वास्तविक मतदाता जल्दबाजी में की गई प्रक्रियाओं और अपर्याप्त समय के कारण मताधिकार से वंचित कर दिए गए.
बीजद ने इस बात पर जोर दिया कि एसआईआर का संचालन चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के सही उद्देश्य से किया जाना चाहिए, जिसमें सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी हो. मतदाता सूची से अपात्र मतदाताओं को हटाने के बहाने किसी भी योग्य मतदाता को मताधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. बीजद चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया के आधार पर इन मुद्दों पर अपनी योजना तैयार करेगा और अगर वास्तविक मुद्दों का समाधान नहीं किया गया तो आंदोलनकारी कार्यक्रम भी अपना सकता है.
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एकेएस/डीएससी
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