Bhopal , 4 अक्टूबर . Madhya Pradesh के छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप को लेकर सामने आई हालिया जांच रिपोर्ट ने कई चिंताएं बढ़ा दी हैं. औषधि एवं खाद्य नियंत्रक दिनेश मौर्य ने इस मामले में बड़ी जानकारी दी है.
उन्होंने बताया कि छिंदवाड़ा में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के संबंध में जिन सिरप और दवाओं की शिकायतें मिली थीं, उन सभी के नमूने लिए गए. इनमें से कुछ की जांच रिपोर्ट आ चुकी है, जबकि कुछ की जांच अभी भी जारी है. खासकर जिस कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बात हो रही है, वह तमिलनाडु में बनाया गया था.
जांच में यह पाया गया है कि इस कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा निर्धारित सीमा से बहुत अधिक है. सामान्य तौर पर कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा 0.10 प्रतिशत तक होनी चाहिए, मगर जांच में यह मात्रा 48 प्रतिशत पाई गई है, जो कि मानक से लगभग 480 गुना ज्यादा है.
डायएथिलीन ग्लाइकोल एक विषैला पदार्थ है, जिसकी अधिक मात्रा से शरीर में गंभीर नुकसान हो सकता है. इस कारण कोल्ड्रिफ कफ सिरप को कंटामिनटेड घोषित कर दिया गया है और इस पर बैन लगा दिया गया है. इसके साथ ही, Madhya Pradesh में कोल्ड्रिफ के सभी प्रोडक्ट्स की बिक्री पूरी तरह से रोक दी गई है.
वहीं, एक और कफ सिरप ‘नेक्सट्रो डीएस’ की भी जांच जारी है. इसकी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. जांच पूरी होने तक इस सिरप को प्रिस्क्राइब करने पर भी रोक लगा दी गई है.
औषधि एवं खाद्य नियंत्रक दिनेश मौर्य ने जनता से अपील की है कि वे बिना जांच और डॉक्टर की सलाह के किसी भी कफ सिरप का सेवन न करें. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सभी दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए Government पूरी तरह सतर्क है और इस मामले में जल्द से जल्द दोषियों को पकड़कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
Government ने स्पष्ट किया है कि इस घटना को गंभीरता से लिया जा रहा है और इस तरह के घातक उत्पादों को बाजार से हटाने के लिए कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी ताकि जनता की सेहत सुरक्षित रहे.
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वीकेयू/एएस
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