जयपुर में इस साल शारदीय नवरात्र का पर्व 22 सितंबर सोमवार से शुरू होने जा रहा है, जो भक्तों में श्रद्धा और उमंग का नया जोश लेकर आया है। शहर के विभिन्न प्रमुख देवी मंदिरों में इस अवसर को भव्यता से मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। आमेर के शिला माता मंदिर से लेकर मनसा देवी, दुर्गापुरा की दुर्गा माता, पुरानी बस्ती की रुद्र घंटेश्वरी, घाटगेट की काली माता और झालाना डूंगरी तक सभी जगह भक्तिमय माहौल बनाने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। इस बार खास बात यह है कि मनसा माता का मंदिर हाथी की सवारी पर मां का स्वागत करेगा, जो भक्तों के लिए एक विशेष और आकर्षक दृश्य होगा।
कनक घाटी इलाके में स्थित आमेर रोड के ठिकाना मंदिर के अंतर्गत आने वाले श्री गोविंद देव जी के मातहत मनसा माता मंदिर में इस नवरात्र के दौरान भक्तों की आस्था और उमंग का समागम होगा। यहां नवरात्र के पहले दिन सुबह से ही घट स्थापना, पूजा-पाठ, चंडी पाठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठान पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न होंगे। पूरे नौ दिनों तक नियमित पूजा, भोग, आरती और पुष्पांजलि का सिलसिला चलता रहेगा, जिससे मंदिर परिसर में भक्तों का आना-जाना लगा रहेगा।
नवरात्र के प्रथम दिन से पंचमी तक सुबह से शाम तक मंदिरों में भक्तगण नवरात्र के नियमों के अनुसार व्रत और पूजा करते हुए माता के दर्शन और आराधना में लीन रहेंगे। षष्ठी से लेकर दशमी तक खास आयोजन होंगे जिनमें महाअष्टमी के संधि पूजन, 108 नीलकमल अर्पण, बलिदान और नवमी के कन्या पूजन जैसे विधि-विधान शामिल हैं। दशमी के दिन मां दुर्गा की मूर्ति का डोला यात्रा के माध्यम से विसर्जन होगा, जो नवरात्र महोत्सव के समापन का प्रतीक होगा।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार घट स्थापना के लिए सुबह का समय सबसे शुभ माना गया है। सूर्योदय के साथ ही अमृत चौघड़िया में घट स्थापना करना लाभकारी रहेगा। इसके अलावा दोपहर का अभिजित मुहूर्त भी शुभ फलदायक होगा। गलता गेट स्थित गीता गायत्री मंदिर में भी प्रातःकाल पूजा और घट स्थापना का भव्य आयोजन होगा, जिसमें पंचामृत और तीर्थ जल से मां का अभिषेक कर नए वस्त्र पहनाकर श्रृंगार किया जाएगा।
गोविंद देवजी मंदिर में पूरे नवरात्र के दौरान मंदिर में हर रोज भक्तों के लिए पूजा, आरती और भोग का आयोजन किया जाएगा, ताकि आस्था के साथ-साथ पूजा की शुद्धता बनी रहे। उन्होंने कहा कि इस बार की तैयारियां भक्तों के लिए आनंददायक और सुरक्षित माहौल प्रदान करने वाली हैं।
जयपुर के ये मंदिर और श्रद्धालु नवरात्र के पावन अवसर पर माता की भव्य पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं। इस त्यौहार के जरिए न केवल आध्यात्मिक उर्जा मिलती है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मेलजोल भी बढ़ता है, जो सामूहिक सौहार्द का संदेश देता है।
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