रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को अमेरिका के साथ किए गए प्लूटोनियम निष्पादन समझौते को औपचारिक रूप से समाप्त करने वाले कानून पर हस्ताक्षर कर दिया।
यह समझौता (प्लूटोनियम प्रबंधन और निपटान समझौता) 2000 में हुआ था और 2011 में प्रभावी हुआ था, जिसमें प्रत्येक देश ने 34 टन हथियार-उपयोग योग्य प्लूटोनियम नष्ट करने का लक्ष्य रखा था।
रूस ने क्यों किया ऐसारूस ने इस समझौते को 2016 में निलंबित कर दिया था, तब से यह लगभग निष्क्रिय था। अब पुतिन का यह कदम इसे पूर्ण रूप से खत्म करने का संकेत है। रूस के सरकारी स्रोतों ने कहा है कि अमेरिका द्वारा समझौते की शर्तों का उल्लंघन, NATO विस्तार और रूस के विरुद्ध प्रतिकूल उपायों के कारण यह निर्णय लिया गया।
ग्लोबल परमाणु सुरक्षा पर असरयह समझौता हथियार-योग्य प्लूटोनियम को ऊर्जा-उपयोग योग्य मिश्रित ऑक्साइड (MOX) ईंधन में बदलने के लिए था, ताकि परमाणु हथियार बनने की संभावना कम हो सके।
-
समझौते के खत्म होने से वैश्विक परमाणु नियंत्रण व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं।
इस फैसले की पृष्ठभूमि में अमेरिका-रूस संबंध पहले से तनावपूर्ण थे। ट्रंप प्रशासन ने रूस पर लगातार तीखे शब्दों का प्रयोग किया है। इस बीच रूस ने परमाणु बलों को उच्च सतर्कता पर रखा है।
यह कदम न केवल यूरोप और अमेरिका के साथ रूस के रणनीतिक संबंधों को प्रभावित करेगा बल्कि द्विपक्षीय परमाणु हथियार नियंत्रण चर्चाओं और दक्षिण एशिया में भारत-रूस-अमेरिका त्रिकोणीय संबंधों पर भी प्रभाव डाल सकता है।
You may also like

दिल्ली पुलिस की बड़ी कार्रवाई, एक संदिग्ध जासूस को किया गिरफ्तार, विदेशी परमाणु एजेंसियों से संपर्क होने का शक

विश्व पक्षाघात दिवस पर बुधवार को होगा विशेष जागरूकता कार्यक्रम

(अपडेट) आठ शहरों में बारिश, दक्षिणी व दक्षिण-पूर्वी में अभी 4 दिन और चलेगा दौर

खरीफ की प्रमुख फसलों की बेहतर बुवाई हुई, उपज अच्छी होने की उम्मीदः शिवराज

8वां वेतन आयोग: चपरासी से लेकर अधिकारी तक बढ़ेगी सैलरी, जानें आपके खाते में कितने आएंगे रुपये




