भोपाल: बीमा कंपनी ने उपभोक्ता से पैसे तो ले लिये, लेकिन बीमा का लाभ देने में आनाकानी की। मरीज को इलाज की राशि देने से मना कर दिया। एक ऐसी ही बीमा कंपनी पर उपभोक्ता फोरम ने जुर्माना लगाया है।
भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक-2 ने 2.58 लाख रुपये का हर्जाना लगाने वाला निर्णय सुनाया है। यह फैसला अध्यक्ष गिरिबाला सिंह और सदस्य अंजुम फिरोज की बेंच ने दिया।
चुकाया भारी प्रीमियम
बताया जा रहा है कि भोपाल के चुनाभट्टी इलाके के निवासी संजय प्रकाश तिवारी ने मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और बंसल अस्पताल के खिलाफ 2019 में एक याचिका लगाई। उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक-2 में शिकायत की कि उन्होंने एक कैशलेस ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी अपने और अपनी पत्नी के लिए लिया था। पॉलिसी के लिए 39621 रुपये की प्रीमियम राशि का भुगतान भी किया गया।
राशि देने से किया मना
कुछ दिनों बाद बीमा की अवधि में ही उपभोक्ता के बाएं घुटने को बदलने के लिए सर्जरी हुई। इलाज में करीब 2.43 लाख रुपये खर्च हुए। जब उपभोक्ता की ओर से बीमा कंपनी से कैशलेस पॉलिसी के तहत राशि की मांग की गई तो बीमा कंपनी में देने से इनकार कर दिया।
बीमा कंपनी की दलील
बीमा कंपनी ने उपभोक्ता आयोग में तर्क रखा कि बीमा लेते समय उपभोक्ता ने यह बात छुपाई थी कि उन्होंने 2012 में बेरिएट्रिक सर्जरी करवाई थी। साथ ही यह जानकारी भी छुपाई थी कि उपभोक्ता पिछले पांच वर्ष से हाइपरटेंशन से पीड़ित था। इस कारण उनके क्लेम को निरस्त किया गया। जबकि उपभोक्ता ने तर्क रखा कि उन्होंने किसी भी बीमारी को छुपा कर बीमा नहीं लिया, बल्कि सभी के दस्तावेज भी जमा किए थे।
बीमा कंपनी को देना होगा इतनी राशि
आयोग ने कहा कि बीमित अवधि में कंपनी का दायित्व है कि बीमार होने पर इलाज में खर्च हुई पूरी राशि का वहन करे। वहीं उपभोक्ता की ओर से मामले में अस्पताल को भी एक पक्ष बनाया था, लेकिन आयोग ने अस्पताल को दोषी नहीं माना। केवल कंपनी के खिलाफ ही फैसला सुनाया है। इस कारण बीमा कंपनी को इलाज में खर्च हुए करीब 243200 रुपये और 15 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति राशि चुकानी होगी।
भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक-2 ने 2.58 लाख रुपये का हर्जाना लगाने वाला निर्णय सुनाया है। यह फैसला अध्यक्ष गिरिबाला सिंह और सदस्य अंजुम फिरोज की बेंच ने दिया।
चुकाया भारी प्रीमियम
बताया जा रहा है कि भोपाल के चुनाभट्टी इलाके के निवासी संजय प्रकाश तिवारी ने मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और बंसल अस्पताल के खिलाफ 2019 में एक याचिका लगाई। उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक-2 में शिकायत की कि उन्होंने एक कैशलेस ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी अपने और अपनी पत्नी के लिए लिया था। पॉलिसी के लिए 39621 रुपये की प्रीमियम राशि का भुगतान भी किया गया।
राशि देने से किया मना
कुछ दिनों बाद बीमा की अवधि में ही उपभोक्ता के बाएं घुटने को बदलने के लिए सर्जरी हुई। इलाज में करीब 2.43 लाख रुपये खर्च हुए। जब उपभोक्ता की ओर से बीमा कंपनी से कैशलेस पॉलिसी के तहत राशि की मांग की गई तो बीमा कंपनी में देने से इनकार कर दिया।
बीमा कंपनी की दलील
बीमा कंपनी ने उपभोक्ता आयोग में तर्क रखा कि बीमा लेते समय उपभोक्ता ने यह बात छुपाई थी कि उन्होंने 2012 में बेरिएट्रिक सर्जरी करवाई थी। साथ ही यह जानकारी भी छुपाई थी कि उपभोक्ता पिछले पांच वर्ष से हाइपरटेंशन से पीड़ित था। इस कारण उनके क्लेम को निरस्त किया गया। जबकि उपभोक्ता ने तर्क रखा कि उन्होंने किसी भी बीमारी को छुपा कर बीमा नहीं लिया, बल्कि सभी के दस्तावेज भी जमा किए थे।
बीमा कंपनी को देना होगा इतनी राशि
आयोग ने कहा कि बीमित अवधि में कंपनी का दायित्व है कि बीमार होने पर इलाज में खर्च हुई पूरी राशि का वहन करे। वहीं उपभोक्ता की ओर से मामले में अस्पताल को भी एक पक्ष बनाया था, लेकिन आयोग ने अस्पताल को दोषी नहीं माना। केवल कंपनी के खिलाफ ही फैसला सुनाया है। इस कारण बीमा कंपनी को इलाज में खर्च हुए करीब 243200 रुपये और 15 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति राशि चुकानी होगी।
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