प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ 2025 के दौरान सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा किन्नर अखाड़ा अब दो हिस्सों में बंट गया है। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर और उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की सदस्य कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने सोमवार को इस्तीफा देकर नया अखाड़ा बनाने की घोषणा की है। उन्होंने अपने नए अखाड़े का नाम सनातनी किन्नर अखाड़ा रखा है। टीना मां ने कहा कि वह अब सनातन धर्म के प्रचार और उसके सशक्तिकरण के लिए नए सिरे से काम करेंगी। उनका पट्टाभिषेक 4 नवंबर को किया जाएगा। उनका आचार्य महामंडलेश्वर के पद पर पट्टाभिषेक होगा। इसम अयोध्या, कानपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, मिर्जापुर और वाराणसी के किन्नर इस दौरान मौजूद रहेंगे।   
   
कौन हैं टीना मां?कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां किन्नर अखाड़े से संबद्ध रही हैं। वह 2019 के कुंभ मेले में पीठाधीश्वर बनीं थीं। उन्हें 2021 में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर घोषित किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें किन्नर कल्याण बोर्ड का सदस्य भी बनाया है। वह महिला, बाल कल्याण विषयों पर लगातार काम रही हैं। उनके आश्रम में हर वर्ग के लोगों का आना होता है। प्रयागराज के सेक्टर 16 स्थित आश्रम से वे अपने सामाजिक कल्याण के कार्यों को करती हैं। वे कहती हैं कि प्रयागराज के लोगों का स्नेह मिलता है।
     
टीना मां कहती हैं कि लोग विशेष अवसरों पर मुझे आंमत्रित करते हैं। आज मैं 40 किन्नर बच्चों की गार्जियन हूं। उनके आधार कार्ड पर मेरा नाम लिखा है। मैं ही उनकी मां हूं और उनका पिता भी। उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर रहीं, लेकिन अखाड़ा अब अपने मूल उद्देश्य और सनातन की भावना से भटक गया है।
     
देहरादून में हुआ जन्मटीना मां का जन्म देहरादून के विकासनगर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पंडित टेकनारायण शर्मा सेना में कार्यरत थे। जन्म के छह महीने बाद ही सामाजिक दबाव के चलते उन्हें एक किन्नर गुरु सलमा को सौंप दिया गया। टीना मां बताती हैं कि उन्होंने अपने गुरु से ही शिक्षा-दीक्षा पाई और समाज सेवा को अपना जीवन उद्देश्य बनाया। वे कहती हैं कि मुझे मां-बाप और भाई-बहन का स्नेह नहीं मिला, लेकिन अब मैं 40 बच्चों की मां हूं। यही मेरा परिवार है। टीना मां धार्मिक, सामाजिक और शिक्षा संबंधी गतिविधियों में सक्रिय हैं।
   
नए अखाड़े की घोषणाटीना मां ने कहा कि हमारा अखाड़ा सनातन धर्म की सेवा और आध्यात्मिक उत्थान के लिए बना था, लेकिन अब वहां की दिशा बदल गई है। इसलिए मैंने खुद को अलग कर लिया और नया ‘सनातनी किन्नर अखाड़ा’ बनाया है। सनातन को मजबूत करने के लिए अगर जान की आहुति भी देनी पड़ी तो तैयार हूं। टीना मां ने सोमवार को अपने प्रयागराज स्थित आश्रम में सनातनी किन्नर अखाड़ा की औपचारिक घोषणा की। उनके साथ कई किन्नर साध्वी और अनुयायी मौजूद रहे।
   
ममता कुलकर्णी विवाद बना वजहमहाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज के सेक्टर 16 में किन्नर अखाड़ा सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा। डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी इसकी आचार्य महामंडलेश्वर हैं। इसी अखाड़े में बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी, जिसे लेकर अखाड़े के कई पदाधिकारी नाराज थे। टीना मां और उनके साथियों का कहना है कि ममता कुलकर्णी का नाम दाऊद इब्राहिम जैसे अपराधियों से जुड़ा रहा है और ऐसे व्यक्ति से संबंधित किसी को धार्मिक पद देना गलत संदेश देता है।
   
सनातनी किन्नर अखाड़े में शामिल भवानी मां ने कहा कि किन्नर अखाड़े ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाकर सनातन धर्म की मर्यादा का अपमान किया है। ऐसे लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
   
2015 में हुआ था गठनकिन्नर अखाड़े की स्थापना साल 2015 में डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने की थी। यह अखाड़ा श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े से संबद्ध है। 2019 के अर्धकुंभ में यह अखाड़ा पहली बार चर्चा में आया और 2021 के हरिद्वार कुंभ में भी इसकी भागीदारी रही। 2025 के महाकुंभ में यह अखाड़ा सबसे ज्यादा चर्चित रहा। कभी ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने को लेकर तो कभी हिमांगी सखी के विवादित बयानों के चलते यह अखाड़ा चर्चा में रहा है।
   
किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने टीना मां के अलग अखाड़ा बनाए जाने के मसले पर कहा कि उन्हें नए अखाड़े की जानकारी मीडिया से मिली है। उन्होंने कहा कि टीना मां ने अगर नया अखाड़ा बनाया है तो यह उनका निर्णय है। अभी हमें इसकी कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।
  
कौन हैं टीना मां?कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां किन्नर अखाड़े से संबद्ध रही हैं। वह 2019 के कुंभ मेले में पीठाधीश्वर बनीं थीं। उन्हें 2021 में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर घोषित किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें किन्नर कल्याण बोर्ड का सदस्य भी बनाया है। वह महिला, बाल कल्याण विषयों पर लगातार काम रही हैं। उनके आश्रम में हर वर्ग के लोगों का आना होता है। प्रयागराज के सेक्टर 16 स्थित आश्रम से वे अपने सामाजिक कल्याण के कार्यों को करती हैं। वे कहती हैं कि प्रयागराज के लोगों का स्नेह मिलता है।
टीना मां कहती हैं कि लोग विशेष अवसरों पर मुझे आंमत्रित करते हैं। आज मैं 40 किन्नर बच्चों की गार्जियन हूं। उनके आधार कार्ड पर मेरा नाम लिखा है। मैं ही उनकी मां हूं और उनका पिता भी। उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर रहीं, लेकिन अखाड़ा अब अपने मूल उद्देश्य और सनातन की भावना से भटक गया है।
देहरादून में हुआ जन्मटीना मां का जन्म देहरादून के विकासनगर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पंडित टेकनारायण शर्मा सेना में कार्यरत थे। जन्म के छह महीने बाद ही सामाजिक दबाव के चलते उन्हें एक किन्नर गुरु सलमा को सौंप दिया गया। टीना मां बताती हैं कि उन्होंने अपने गुरु से ही शिक्षा-दीक्षा पाई और समाज सेवा को अपना जीवन उद्देश्य बनाया। वे कहती हैं कि मुझे मां-बाप और भाई-बहन का स्नेह नहीं मिला, लेकिन अब मैं 40 बच्चों की मां हूं। यही मेरा परिवार है। टीना मां धार्मिक, सामाजिक और शिक्षा संबंधी गतिविधियों में सक्रिय हैं।
नए अखाड़े की घोषणाटीना मां ने कहा कि हमारा अखाड़ा सनातन धर्म की सेवा और आध्यात्मिक उत्थान के लिए बना था, लेकिन अब वहां की दिशा बदल गई है। इसलिए मैंने खुद को अलग कर लिया और नया ‘सनातनी किन्नर अखाड़ा’ बनाया है। सनातन को मजबूत करने के लिए अगर जान की आहुति भी देनी पड़ी तो तैयार हूं। टीना मां ने सोमवार को अपने प्रयागराज स्थित आश्रम में सनातनी किन्नर अखाड़ा की औपचारिक घोषणा की। उनके साथ कई किन्नर साध्वी और अनुयायी मौजूद रहे।
ममता कुलकर्णी विवाद बना वजहमहाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज के सेक्टर 16 में किन्नर अखाड़ा सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा। डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी इसकी आचार्य महामंडलेश्वर हैं। इसी अखाड़े में बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी, जिसे लेकर अखाड़े के कई पदाधिकारी नाराज थे। टीना मां और उनके साथियों का कहना है कि ममता कुलकर्णी का नाम दाऊद इब्राहिम जैसे अपराधियों से जुड़ा रहा है और ऐसे व्यक्ति से संबंधित किसी को धार्मिक पद देना गलत संदेश देता है।
सनातनी किन्नर अखाड़े में शामिल भवानी मां ने कहा कि किन्नर अखाड़े ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाकर सनातन धर्म की मर्यादा का अपमान किया है। ऐसे लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
2015 में हुआ था गठनकिन्नर अखाड़े की स्थापना साल 2015 में डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने की थी। यह अखाड़ा श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े से संबद्ध है। 2019 के अर्धकुंभ में यह अखाड़ा पहली बार चर्चा में आया और 2021 के हरिद्वार कुंभ में भी इसकी भागीदारी रही। 2025 के महाकुंभ में यह अखाड़ा सबसे ज्यादा चर्चित रहा। कभी ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने को लेकर तो कभी हिमांगी सखी के विवादित बयानों के चलते यह अखाड़ा चर्चा में रहा है।
किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने टीना मां के अलग अखाड़ा बनाए जाने के मसले पर कहा कि उन्हें नए अखाड़े की जानकारी मीडिया से मिली है। उन्होंने कहा कि टीना मां ने अगर नया अखाड़ा बनाया है तो यह उनका निर्णय है। अभी हमें इसकी कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।
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