नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में आज सुबह धुंध की घनी चादर छाई रही। सरकार द्वारा लगाई गई तमाम पाबंदियों के बावजूद वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। रविवार को आलम यह था कि प्रदूषण का स्तर 'बेहद खराब' श्रेणी में पहुंच गया और दिल्ली-एनसीआर के कई हिस्सों में गंभीर स्तर को छू गया। वजीरपुर, बवाना और रोहिणी जैसे क्षेत्रों में एक्यूआई 400 का आंकड़ा पार कर गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, सुबह 6:30 बजे दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 372 रहा, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है। सबसे प्रदूषित इलाकों में वजीरपुर (425), बवाना (410), रोहिणी (409), आरके पुरम (418) और द्वारका (401) शामिल थे, जहां प्रदूषण का स्तर 'खतरनाक' स्तर पर बना हुआ है।
यदि संभव हो तो छोड़ दें दिल्ली...
राजधानी में बिगड़ते हालातों पर एम्स के पूर्व डॉक्टर गोपी चंद खिलनानी ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में सलाह दी है कि जो लोग दिसंबर के अंत या बीच में दिल्ली छोड़ किसी अन्य शहर जा सकते हैं तो वह कुछ समय के लिए राजधानी छोड़ दें।
डॉ. खिलनानी, जो PSRI इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी के चेयरमैन भी हैं। उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि हर कोई दिल्ली नहीं छोड़ सकता, क्योंकि यह आसान नहीं है। लेकिन जिन लोगों को फेफड़ों या दिल की पुरानी बीमारी है या फिर ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। वह अगर संभव हो तो कम प्रदूषण वाली जगहों पर जा सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैं उन्हें सुरक्षित रूप से सलाह देता हूं कि वे अगले 6-8 हफ्तों के लिए दिल्ली छोड़ दें। ऐसा करने से वे सांस फूलने की तकलीफ, ऑक्सीजन की जरूरत और अन्य परेशानियों से खुद को बचा पाएंगे।
फेफड़ों के लिए खतरनाक है वायु प्रदूषण
उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण फेफड़ों और दूसरे अंगों के लिए काफी खतरनाक है। एम्स के रिसर्च के अनुसार, वायु प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों के विकास को धीमा कर देता है। पहले जहां COPD (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के 90% मामले तंबाकू या धूम्रपान से होते थे, वहीं अब 50% मामले घर के अंदर और बाहर के प्रदूषण से हो रहे हैं। इसी तरह, पहले 80% से ज्यादा फेफड़ों के कैंसर तंबाकू से होते थे, लेकिन आज 40% फेफड़ों के कैंसर उन लोगों में देखे जा रहे हैं जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, सुबह 6:30 बजे दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 372 रहा, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है। सबसे प्रदूषित इलाकों में वजीरपुर (425), बवाना (410), रोहिणी (409), आरके पुरम (418) और द्वारका (401) शामिल थे, जहां प्रदूषण का स्तर 'खतरनाक' स्तर पर बना हुआ है।
यदि संभव हो तो छोड़ दें दिल्ली...
राजधानी में बिगड़ते हालातों पर एम्स के पूर्व डॉक्टर गोपी चंद खिलनानी ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में सलाह दी है कि जो लोग दिसंबर के अंत या बीच में दिल्ली छोड़ किसी अन्य शहर जा सकते हैं तो वह कुछ समय के लिए राजधानी छोड़ दें।
डॉ. खिलनानी, जो PSRI इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी के चेयरमैन भी हैं। उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि हर कोई दिल्ली नहीं छोड़ सकता, क्योंकि यह आसान नहीं है। लेकिन जिन लोगों को फेफड़ों या दिल की पुरानी बीमारी है या फिर ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। वह अगर संभव हो तो कम प्रदूषण वाली जगहों पर जा सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैं उन्हें सुरक्षित रूप से सलाह देता हूं कि वे अगले 6-8 हफ्तों के लिए दिल्ली छोड़ दें। ऐसा करने से वे सांस फूलने की तकलीफ, ऑक्सीजन की जरूरत और अन्य परेशानियों से खुद को बचा पाएंगे।
फेफड़ों के लिए खतरनाक है वायु प्रदूषण
उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण फेफड़ों और दूसरे अंगों के लिए काफी खतरनाक है। एम्स के रिसर्च के अनुसार, वायु प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों के विकास को धीमा कर देता है। पहले जहां COPD (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के 90% मामले तंबाकू या धूम्रपान से होते थे, वहीं अब 50% मामले घर के अंदर और बाहर के प्रदूषण से हो रहे हैं। इसी तरह, पहले 80% से ज्यादा फेफड़ों के कैंसर तंबाकू से होते थे, लेकिन आज 40% फेफड़ों के कैंसर उन लोगों में देखे जा रहे हैं जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया।
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