नई दिल्ली: कर्नाटक हाई कोर्ट में अपना नया कार्यकाल संभालने से पहले न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट से अलविदा कहा। अपने विदाई भाषण में उन्होंने अपने परिवार के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने दौरान उन्होंने अपनी बेटी से ऐसी बात कही कि जो कि सभी के दिल को छू गई।
दरअसल जस्टिस गंजू के विदाई को लेकर उनकी बेटी रो रही थी, जिसके बाद न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू उनकी ओर मुड़ी और धीरे से कहा कि रोना मत, अगर तुम रोओगी तो मैं भी रो दूंगी। इसलिए रोना मत। इसके बाद उन्होंने खुद को संभाला और अपना भाषण जारी रखा। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों का जीवन एकांत का होता है, लेकिन उनके परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया।
जीवन के तरीके और सबक के साथ विदाई...
जस्टिस गंजू ने जोर देकर कहा कि राष्ट्र और न्याय चाहने वाले लोगों के प्रति उनका कर्तव्य सर्वोपरि है। व्यक्तिगत आराम या किसी की नाराजगी न्याय के प्रति उनके दायित्व से बढ़कर नहीं हो सकती। वे अपने साथ जीवन के सबक और तरीके लेकर जा रही हैं।
उन्होंने कहा, "यह हमारा पवित्र कर्तव्य है कि हम यह सुनिश्चित करें कि कानून कमजोरों के लिए ढाल बना रहे, न कि शक्तिशाली लोगों के लिए तलवार। लोगों का इस संस्था में विश्वास इसकी सबसे बड़ी ताकत है और इस विश्वास को ईमानदारी, स्वतंत्रता और पारदर्शिता के माध्यम से बनाए रखना चाहिए।" बार का धन्यवाद करते हुए उन्होंने कहा कि यदि वे अदालत में कभी दृढ़ रहीं, तो वह केवल इस महान संस्था की गरिमा और अनुशासन बनाए रखने के लिए था।
युवा वकीलों को दी सलाह
युवा वकीलों को सलाह देते हुए, जस्टिस गंजू ने उनसे अनुशासन, विनम्रता और धैर्य बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एक वकील की असली पहचान उसके द्वारा लड़े गए मामलों की संख्या से नहीं, बल्कि "निष्पक्षता और गरिमा के साथ" उन्हें संचालित करने से होती है।
दिल्ली हाई कोर्ट दो जजों का तबादला किया गया है। जस्टिस अरुण मोंगा को राजस्थान उच्च न्यायालय और जस्टिस तारा वितस्ता गंजू को कर्नाटक उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया है। उनके स्थानांतरण, विशेष रूप से न्यायमूर्ति गंजू के स्थानांतरण का विभिन्न बार संगठनों ने कड़ा विरोध किया।
बार एसोसिएशन ने किया विरोध
दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) की महिला वकीलों और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा सहित विभिन्न बार के सदस्यों ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति गंजू के स्थानांतरण पर अपना विरोध जताया था।
न्यायमूर्ति मोंगा और न्यायमूर्ति गंजू को विदाई देने के लिए पूर्ण न्यायालय में आयोजित बैठक में मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा, “सबसे पहले मैं आपके समक्ष यह कहना चाहता हूं कि मैं इस अदालत से हमारे सहयोगियों के स्थानांतरण पर बार के सदस्यों की भावनाओं का सम्मान करता हूं... मैं पुनः अपने दोनों सहयोगियों के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करता हूं। मैं आज (डीएचसीबीए) अध्यक्ष के माध्यम से व्यक्त की गई बार की भावनाओं से सहमत हूं।”
उन्होंने कहा कि यह सही कहा गया है कि एक न्यायाधीश को सार्वजनिक रूप से नहीं बोलना चाहिए तथा उसके निर्णय ही उसके लिए बोलने चाहिए।
दरअसल जस्टिस गंजू के विदाई को लेकर उनकी बेटी रो रही थी, जिसके बाद न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू उनकी ओर मुड़ी और धीरे से कहा कि रोना मत, अगर तुम रोओगी तो मैं भी रो दूंगी। इसलिए रोना मत। इसके बाद उन्होंने खुद को संभाला और अपना भाषण जारी रखा। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों का जीवन एकांत का होता है, लेकिन उनके परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया।
जीवन के तरीके और सबक के साथ विदाई...
जस्टिस गंजू ने जोर देकर कहा कि राष्ट्र और न्याय चाहने वाले लोगों के प्रति उनका कर्तव्य सर्वोपरि है। व्यक्तिगत आराम या किसी की नाराजगी न्याय के प्रति उनके दायित्व से बढ़कर नहीं हो सकती। वे अपने साथ जीवन के सबक और तरीके लेकर जा रही हैं।
उन्होंने कहा, "यह हमारा पवित्र कर्तव्य है कि हम यह सुनिश्चित करें कि कानून कमजोरों के लिए ढाल बना रहे, न कि शक्तिशाली लोगों के लिए तलवार। लोगों का इस संस्था में विश्वास इसकी सबसे बड़ी ताकत है और इस विश्वास को ईमानदारी, स्वतंत्रता और पारदर्शिता के माध्यम से बनाए रखना चाहिए।" बार का धन्यवाद करते हुए उन्होंने कहा कि यदि वे अदालत में कभी दृढ़ रहीं, तो वह केवल इस महान संस्था की गरिमा और अनुशासन बनाए रखने के लिए था।
युवा वकीलों को दी सलाह
युवा वकीलों को सलाह देते हुए, जस्टिस गंजू ने उनसे अनुशासन, विनम्रता और धैर्य बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एक वकील की असली पहचान उसके द्वारा लड़े गए मामलों की संख्या से नहीं, बल्कि "निष्पक्षता और गरिमा के साथ" उन्हें संचालित करने से होती है।
दिल्ली हाई कोर्ट दो जजों का तबादला किया गया है। जस्टिस अरुण मोंगा को राजस्थान उच्च न्यायालय और जस्टिस तारा वितस्ता गंजू को कर्नाटक उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया है। उनके स्थानांतरण, विशेष रूप से न्यायमूर्ति गंजू के स्थानांतरण का विभिन्न बार संगठनों ने कड़ा विरोध किया।
बार एसोसिएशन ने किया विरोध
दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) की महिला वकीलों और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा सहित विभिन्न बार के सदस्यों ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति गंजू के स्थानांतरण पर अपना विरोध जताया था।
न्यायमूर्ति मोंगा और न्यायमूर्ति गंजू को विदाई देने के लिए पूर्ण न्यायालय में आयोजित बैठक में मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा, “सबसे पहले मैं आपके समक्ष यह कहना चाहता हूं कि मैं इस अदालत से हमारे सहयोगियों के स्थानांतरण पर बार के सदस्यों की भावनाओं का सम्मान करता हूं... मैं पुनः अपने दोनों सहयोगियों के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करता हूं। मैं आज (डीएचसीबीए) अध्यक्ष के माध्यम से व्यक्त की गई बार की भावनाओं से सहमत हूं।”
उन्होंने कहा कि यह सही कहा गया है कि एक न्यायाधीश को सार्वजनिक रूप से नहीं बोलना चाहिए तथा उसके निर्णय ही उसके लिए बोलने चाहिए।
You may also like

India Bangladesh Pakistan: ₹8800000000000 पर नजर, पाकिस्तान-बांग्लादेश आए करीब तो भारत ने कसी कमर, क्या है प्लान?

प्रधानमंत्री ने एक्स पर झुंझुनू के लेफ्टिनेंट यशवर्धन सिंह की तस्वीर साझा की

ICC Women's World Cup 2025: सेमीफाइनल-2 से पहले आई बेहद बुरी खबर, बारिश के कारण धूल सकता है भारत और ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला

गुणवत्तापूर्ण निस्तारण सुनिश्चित करें जिम्मेदार : जिलाधिकारी

अवैध खनन व परिवहन पर प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, 1588 वाहनों पर गिरी गाज




