लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय दीया विवाद गहराया हुआ है। अखिलेश यादव के बयान पर राजनीति चरम पर है। अखिलेश यादव के बयान पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से हमले तेज हो गए हैं। ऐसे में सबसे बड़ी मुश्किल अखिलेश यादव के सामने खड़ी हो गई है। अखिलेश यादव के बयान ने एक प्रकार से भाजपा को हथियार दे दिया है। अब तक अखिलेश यादव ने जातीय समीकरण पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए के सहारे अपनी 2027 की तैयारियों को धार दी है। हालांकि, अब इसके जवाब में भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश यादव के बयान को आधार बनाकर हिंदुत्व की राजनीति को धार देना शुरू कर दिया है। जातीय राजनीति की काट के तौर पर इसे देखा जा रहा है।
बढ़ी है सपा की चुनौतीयूपी के राजनीतिक मैदान में अभी अखिलेश यादव के लिए चुनौती काफी बढ़ी हुई है। दरअसल, उनके सामने अब जातीय समीकरण को बनाए और बचाए रखने की सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश यादव के बयान को आधार बनाकर लगातार हमलावर रुख अपनाया हुआ है। समाजवादी पार्टी के तमाम नेता अब भारतीय जनता पार्टी के हमले को काटने में ही पूरी ऊर्जा लग रहे हैं। नए सिरे से आक्रमण को धार नहीं दे पा रहे हैं।
दरअसल, अखिलेश यादव ने दीपावली और क्रिसमस को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसने प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है। उनके बयान को लेकर उनके प्रबल समर्थक भी परेशान दिख रहे हैं। दरअसल, अखिलेश यादव ने कहा कि दीपावली पर दीयों को जलाए जाने की जगह क्रिसमस जैसी रोशनी की व्यवस्था की जानी चाहिए।
क्रिसमस के उदाहरण पर बवालअखिलेश यादव ने इसाई देशों का हवाला देते हुए कहा कि वहा क्रिसमस के दौरान महीने भर रोशनी जगमगाती रहती है। शहरों में नजारा देखने लायक होता है। लेकिन, इस (योगी) सरकार से उम्मीद नहीं की जा सकती। समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी तो हम रोशनी की व्यवस्था करेंगे। अब इस पूरे मसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने हमला बोल दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ स्वयं मैदान में आ गए हैं। उन्होंने अखिलेश यादव पर करारा तंज करते हुए पूरे मसले को हिंदुत्व से जोड़ दिया है।
सीएम योगी हैं हमलावरसीएम योगी विवाद में किसान और कुमार प्रजापति समुदाय तक को इसमें जोड़ते दिखे हैं। पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने कहा कि अखिलेश यादव का बयान सीधे तौर पर हिंदू धर्म की अवधारणा के खिलाफ है। हिंदू धर्म में सभी वर्गों को लेकर चलने की बात है। दीपावली में जलने वाले दीये के तेल किसाने की खेतों से आते हैं। वहीं, कुम्हार-प्रजापति वर्ग मिट्टी के दीये बनाता है। अखिलेश यादव इन तमाम लोगों की आजीविका पर सीधे प्रहार कर रहे हैं।
अब सीएम योगी के इस प्रकार के हमले का जवाब देना संभव नहीं हो पा रहा है। समाजवादी पार्टी सांप्रदायिक राजनीति का आरोप लगाते हुए भाजपा पर हमलावर है। इन मुद्दों के जरिए मूल मुद्दों से ध्यान भटकने की साजिश के आरोप लगाए जा रहे हैं। हालांकि, मुद्दे अखिलेश यादव की ओर से उठाए गए हैं। ऐसे में खुलकर बड़ा हमला नहीं हो पा रहा है।
भाजपा ने बनाई है बढ़तभारतीय जनता पार्टी ने दीया विवाद में बढ़त बनाई हुई है। यूपी की राजनीति में यह विवाद गहराता जा रहा है। यह सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी के पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स को प्रभावित करता दिख रहा है। इसके जरिए भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व के एजेंडे को स्थापित करने में जुट गई है। अखिलेश यादव के खिलाफ पहले भी भाजपा की ओर से हिंदू विरोधी होने का आरोप लगता रहा है। गोरखपुर में आरएसएस के कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने कहा कि अखिलेश यादव न केवल राम विरोधी हैं, बल्कि वह कृष्णद्रोही भी हैं।
सीएम योगी का निशाने पर अखिलेश यादव के साथ जाने वाला हिंदू वोट बैंक है। इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दों को छेड़कर एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की जा रही है। यूपी चुनाव 2027 से पहले एक अलग प्रकार का माहौल बनता दिख रहा है। इसमें अखिलेश के सामने चुनौती स्थिति बदलने की है।
बढ़ी है सपा की चुनौतीयूपी के राजनीतिक मैदान में अभी अखिलेश यादव के लिए चुनौती काफी बढ़ी हुई है। दरअसल, उनके सामने अब जातीय समीकरण को बनाए और बचाए रखने की सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश यादव के बयान को आधार बनाकर लगातार हमलावर रुख अपनाया हुआ है। समाजवादी पार्टी के तमाम नेता अब भारतीय जनता पार्टी के हमले को काटने में ही पूरी ऊर्जा लग रहे हैं। नए सिरे से आक्रमण को धार नहीं दे पा रहे हैं।
दरअसल, अखिलेश यादव ने दीपावली और क्रिसमस को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसने प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है। उनके बयान को लेकर उनके प्रबल समर्थक भी परेशान दिख रहे हैं। दरअसल, अखिलेश यादव ने कहा कि दीपावली पर दीयों को जलाए जाने की जगह क्रिसमस जैसी रोशनी की व्यवस्था की जानी चाहिए।
क्रिसमस के उदाहरण पर बवालअखिलेश यादव ने इसाई देशों का हवाला देते हुए कहा कि वहा क्रिसमस के दौरान महीने भर रोशनी जगमगाती रहती है। शहरों में नजारा देखने लायक होता है। लेकिन, इस (योगी) सरकार से उम्मीद नहीं की जा सकती। समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी तो हम रोशनी की व्यवस्था करेंगे। अब इस पूरे मसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने हमला बोल दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ स्वयं मैदान में आ गए हैं। उन्होंने अखिलेश यादव पर करारा तंज करते हुए पूरे मसले को हिंदुत्व से जोड़ दिया है।
सीएम योगी हैं हमलावरसीएम योगी विवाद में किसान और कुमार प्रजापति समुदाय तक को इसमें जोड़ते दिखे हैं। पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने कहा कि अखिलेश यादव का बयान सीधे तौर पर हिंदू धर्म की अवधारणा के खिलाफ है। हिंदू धर्म में सभी वर्गों को लेकर चलने की बात है। दीपावली में जलने वाले दीये के तेल किसाने की खेतों से आते हैं। वहीं, कुम्हार-प्रजापति वर्ग मिट्टी के दीये बनाता है। अखिलेश यादव इन तमाम लोगों की आजीविका पर सीधे प्रहार कर रहे हैं।
अब सीएम योगी के इस प्रकार के हमले का जवाब देना संभव नहीं हो पा रहा है। समाजवादी पार्टी सांप्रदायिक राजनीति का आरोप लगाते हुए भाजपा पर हमलावर है। इन मुद्दों के जरिए मूल मुद्दों से ध्यान भटकने की साजिश के आरोप लगाए जा रहे हैं। हालांकि, मुद्दे अखिलेश यादव की ओर से उठाए गए हैं। ऐसे में खुलकर बड़ा हमला नहीं हो पा रहा है।
भाजपा ने बनाई है बढ़तभारतीय जनता पार्टी ने दीया विवाद में बढ़त बनाई हुई है। यूपी की राजनीति में यह विवाद गहराता जा रहा है। यह सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी के पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स को प्रभावित करता दिख रहा है। इसके जरिए भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व के एजेंडे को स्थापित करने में जुट गई है। अखिलेश यादव के खिलाफ पहले भी भाजपा की ओर से हिंदू विरोधी होने का आरोप लगता रहा है। गोरखपुर में आरएसएस के कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने कहा कि अखिलेश यादव न केवल राम विरोधी हैं, बल्कि वह कृष्णद्रोही भी हैं।
सीएम योगी का निशाने पर अखिलेश यादव के साथ जाने वाला हिंदू वोट बैंक है। इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दों को छेड़कर एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की जा रही है। यूपी चुनाव 2027 से पहले एक अलग प्रकार का माहौल बनता दिख रहा है। इसमें अखिलेश के सामने चुनौती स्थिति बदलने की है।
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