नई दिल्ली : नगालिम आंदोलन एक अलगाववादी आंदोलन है जो भारतीय राज्यों नगालैंड, मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के नगा बहुल क्षेत्रों और म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र के नागा स्व-प्रशासित क्षेत्र में नागा लोगों के लिए एक देश बनाने की मांग कर रहा है। इसकी सीमा चीन के कुछ हिस्सों से लगती है। ऐसे में चीन को भी इस पर ऐतराज रहा है। अलगाववादी संगठन रहे नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक-मुइवा (NSCN-IM) का कथित मकसद एक नगालिम (ग्रेटर नगालैंड) की स्थापना करना है।
क्या है नगालिम, नगालैंड से कितना है अलग
नगालिम में पड़ोसी असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश के सभी नगा बसे हुए इलाके और म्यांमार का कुछ हिस्सा शामिल हो, जिसे वह नागाओं की वास्तविक मातृभूमि मानता है। एक स्वतंत्र राज्य के रूप में प्रस्तावित नगालिम पटकाई पर्वतमाला में 930 और 970 पूर्वी देशांतर और 23.50 और 28.30 उत्तरी अक्षांश के बीच चीन, भारत और म्यांमार के त्रि-संधि क्षेत्र पर स्थित है। प्रस्तावित नगालिम लगभग 1,20,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जबकि वर्तमान नागालैंड भारत का एक राज्य है, जिसका क्षेत्रफल 16,527 वर्ग किलोमीटर है।
केंद्र सरकार नगालिम को नहीं देती है मान्यता
South Asia Terrorism Portal के अनुसार, नगा अलगाववादियों की मांग है एक अलग नगा राष्ट्र की स्थापना हो, जिसमें चीन की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश के इलाके, मणिपुर, असम और म्यांमार के कुछ हिस्से भी शामिल हैं। इस मांग में अलग नागा येजबो (संविधान) और नागा राष्ट्रीय ध्वज की भी मांग शामिल है। नगालिम की स्थापना से म्यांमार के कुछ हिस्से के साथ-साथ तीन पड़ोसी राज्यों, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के बड़े हिस्से के शामिल होने का खतरा है। NSCN-IM द्वारा जारी नागालिम का नक्शा, असम के कार्बी आंगलोंग और उत्तरी कछार हिल्स जिले पर दावा करता है। इसके अलावा, नक्शे में गोलाघाट, सिबसागर, डिब्रूगढ़, तिनसुकिया और जोरहाट जिलों के कुछ हिस्सों को भी शामिल दिखाया गया है। नगालिम के नक्शे को मान्यता नहीं दी जा सकती है, क्योंकि भारत की संप्रभुता और अखंडता को कोई चुनौती नहीं दे सकता है।
ईसाई, हिंदू और जीववाद जैसे धर्म पनपे
मोरंग एक्सप्रेस के अनुसार, नगालिम की आबादी अनुमानित तौर पर करीब 40 लाख है। यह भारत, चीन और म्यांमार के बीच लगभग 120,000 वर्ग किमी के दायरे में फैला हुआ है। इसकी भाषा नागामी, असमिया और आदिवासी रूप, अंग्रेजी है। वहीं, ईसाई धर्म, हिंदू धर्म, जीववाद और अन्य धर्म यहां पनप रहे हैं।
नगा एक नहीं, 19 जनजातियों का समूह
9-11 जुलाई, 2002 को एम्स्टर्डम में शांति वार्ता हुई, जिसमें केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि-सह-मुख्य वार्ताकार के. पद्मनाभैया और NSCN-IM के महासचिव थुइंगलेंग मुइवा शामिल हुए। इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार ने नगाओं के विशिष्ट इतिहास और स्थिति को मान्यता दी है और NSCN-IM नेतृत्व ने भारत के भीतर शांति वार्ता करने की इच्छा व्यक्त की है। इसमें कहा गया कि नगा कोई एक जनजाति नहीं है, बल्कि एक जातीय समुदाय है जिसमें कई जनजातियां शामिल हैं जो नंगालैंड राज्य और उसके पड़ोस में रहती हैं। इसमें 19 प्रमुख जनजातियां हैं।
नगाओं का इतिहास, कब शुरू हुआ विवाद
नागाओं की उत्पत्ति का पता नहीं लगाया जा सकता, लेकिन नगा राष्ट्रवाद का दावा ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू हुआ। 14 अगस्त, 1947 को नगाओं ने ब्रिटिश भारत से आजाद होने का ऐलान कर दिया और अपने लिए एक नगा राष्ट्र यानी नगालिम का ऐलान कर दिया। 1946 में, एजेड फिजो ने नागा राष्ट्रीय परिषद (एनएनसी) का गठन किया, जिसने 14 अगस्त, 1947 को नागा स्वतंत्रता की घोषणा की, और फिर 1951 में, एक जनमत संग्रह कराने का दावा किया, जिसमें भारी बहुमत ने एक स्वतंत्र नागा राज्य का समर्थन किया। हालांकि, इसे किसी ने मान्यता नहीं दी और आजादी के बाद यह विवाद जारी रहा। यहां तक कि नगालैंड के एक राज्य बनने के बाद भी अनसुलझे मुद्दों ने दशकों तक चले उग्रवाद को जन्म दिया, जिसमें हजारों लोगों की जान गई।
क्या है नगालिम, नगालैंड से कितना है अलग
नगालिम में पड़ोसी असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश के सभी नगा बसे हुए इलाके और म्यांमार का कुछ हिस्सा शामिल हो, जिसे वह नागाओं की वास्तविक मातृभूमि मानता है। एक स्वतंत्र राज्य के रूप में प्रस्तावित नगालिम पटकाई पर्वतमाला में 930 और 970 पूर्वी देशांतर और 23.50 और 28.30 उत्तरी अक्षांश के बीच चीन, भारत और म्यांमार के त्रि-संधि क्षेत्र पर स्थित है। प्रस्तावित नगालिम लगभग 1,20,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जबकि वर्तमान नागालैंड भारत का एक राज्य है, जिसका क्षेत्रफल 16,527 वर्ग किलोमीटर है।
केंद्र सरकार नगालिम को नहीं देती है मान्यता
South Asia Terrorism Portal के अनुसार, नगा अलगाववादियों की मांग है एक अलग नगा राष्ट्र की स्थापना हो, जिसमें चीन की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश के इलाके, मणिपुर, असम और म्यांमार के कुछ हिस्से भी शामिल हैं। इस मांग में अलग नागा येजबो (संविधान) और नागा राष्ट्रीय ध्वज की भी मांग शामिल है। नगालिम की स्थापना से म्यांमार के कुछ हिस्से के साथ-साथ तीन पड़ोसी राज्यों, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के बड़े हिस्से के शामिल होने का खतरा है। NSCN-IM द्वारा जारी नागालिम का नक्शा, असम के कार्बी आंगलोंग और उत्तरी कछार हिल्स जिले पर दावा करता है। इसके अलावा, नक्शे में गोलाघाट, सिबसागर, डिब्रूगढ़, तिनसुकिया और जोरहाट जिलों के कुछ हिस्सों को भी शामिल दिखाया गया है। नगालिम के नक्शे को मान्यता नहीं दी जा सकती है, क्योंकि भारत की संप्रभुता और अखंडता को कोई चुनौती नहीं दे सकता है।
ईसाई, हिंदू और जीववाद जैसे धर्म पनपे
मोरंग एक्सप्रेस के अनुसार, नगालिम की आबादी अनुमानित तौर पर करीब 40 लाख है। यह भारत, चीन और म्यांमार के बीच लगभग 120,000 वर्ग किमी के दायरे में फैला हुआ है। इसकी भाषा नागामी, असमिया और आदिवासी रूप, अंग्रेजी है। वहीं, ईसाई धर्म, हिंदू धर्म, जीववाद और अन्य धर्म यहां पनप रहे हैं।
नगा एक नहीं, 19 जनजातियों का समूह
9-11 जुलाई, 2002 को एम्स्टर्डम में शांति वार्ता हुई, जिसमें केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि-सह-मुख्य वार्ताकार के. पद्मनाभैया और NSCN-IM के महासचिव थुइंगलेंग मुइवा शामिल हुए। इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार ने नगाओं के विशिष्ट इतिहास और स्थिति को मान्यता दी है और NSCN-IM नेतृत्व ने भारत के भीतर शांति वार्ता करने की इच्छा व्यक्त की है। इसमें कहा गया कि नगा कोई एक जनजाति नहीं है, बल्कि एक जातीय समुदाय है जिसमें कई जनजातियां शामिल हैं जो नंगालैंड राज्य और उसके पड़ोस में रहती हैं। इसमें 19 प्रमुख जनजातियां हैं।
नगाओं का इतिहास, कब शुरू हुआ विवाद
नागाओं की उत्पत्ति का पता नहीं लगाया जा सकता, लेकिन नगा राष्ट्रवाद का दावा ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू हुआ। 14 अगस्त, 1947 को नगाओं ने ब्रिटिश भारत से आजाद होने का ऐलान कर दिया और अपने लिए एक नगा राष्ट्र यानी नगालिम का ऐलान कर दिया। 1946 में, एजेड फिजो ने नागा राष्ट्रीय परिषद (एनएनसी) का गठन किया, जिसने 14 अगस्त, 1947 को नागा स्वतंत्रता की घोषणा की, और फिर 1951 में, एक जनमत संग्रह कराने का दावा किया, जिसमें भारी बहुमत ने एक स्वतंत्र नागा राज्य का समर्थन किया। हालांकि, इसे किसी ने मान्यता नहीं दी और आजादी के बाद यह विवाद जारी रहा। यहां तक कि नगालैंड के एक राज्य बनने के बाद भी अनसुलझे मुद्दों ने दशकों तक चले उग्रवाद को जन्म दिया, जिसमें हजारों लोगों की जान गई।
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