एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन को 2025-26 से 2030-31 तक के लिए 25,060 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू किया जाएगा। EPM का उद्देश्य भारत के निर्यात को और बेहतर बनाना है। इसका लक्ष्य है कि निर्यात का ढांचा सभी के लिए खुला हो, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो और दुनिया भर में भारत का सामान मुकाबले में खड़ा रहे। इसमें दो स्कीम शामिल होंगी। इनका नाम निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात दिशा है।
#Cabinet approves Export Promotion Mission to strengthen India’s export ecosystem with outlay of Rs. 25,060 crore for FY 2025–26 to FY 2030–31
— Dhirendra Ojha (@DG_PIB) November 12, 2025
EPM represents a forward-looking effort to make India’s export framework more inclusive, technology-enabled, and globally competitive pic.twitter.com/xfD5caLCQl
बिक्री बढ़ाने पर फोकसएक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) के लिए आसान और सस्ती व्यापार वित्त की व्यवस्था करेगा। यह उन्हें नियमों का पालन करने और सर्टिफिकेशन पाने में मदद करके निर्यात के लिए तैयार करेगा। इससे भारतीय उत्पादों को बाजारों में ज्यादा पहचान मिलेगी और उनकी बिक्री बढ़ेगी। यह मिशन उन जिलों और क्षेत्रों से भी निर्यात बढ़ाएगा जहां से पहले ज्यादा निर्यात नहीं होता था। इससे निर्माण, लॉजिस्टिक्स और संबंधित सेवाओं में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
सरकार लेगी लोन की गारंटीकैबिनेट ने निर्यातकों के लिए क्रेडिट गारंटी योजना को मंजूरी दे दी है। अब नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (National Credit Guarantee Trustee Company Limited) के जरिए निर्यातकों को 100% क्रेडिट गारंटी मिलेगी। इसका मतलब है कि अगर कोई निर्यातक लोन लेता है और किसी वजह से उसे चुका नहीं पाता तो सरकार उसकी गारंटी लेगी। इस योजना के तहत छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) सहित योग्य निर्यातकों को 20,000 करोड़ रुपये तक का बिना किसी गारंटी के लोन मिल सकेगा। यह कदम निर्यातकों को बढ़ावा देने और उन्हें आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए उठाया गया है।
#Cabinet approves Credit Guarantee Scheme for Exporters for 100% credit guarantee coverage through National Credit Guarantee Trustee Company Limited
— Dhirendra Ojha (@DG_PIB) November 12, 2025
Up to Rs. 20,000 crore collateral-free credit support envisaged to eligible exporters, including MSMEs#CabinetDecisions pic.twitter.com/nU7HD7J6Oz
रेयर मिनरल्स पर खत्म होगी रॉयल्टीसबसे बड़ा फैसला दुर्लभ खनिज यानी रेयर मिनरल्स को लेकर रहा। केंद्रीय कैबिनेट ने क्रिटिकल मिनरल्स मिनशन के तहत ग्रेफाइट, सीजियम, रुबिडियम और जिरकोनियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों पर रॉयल्टी की दरें तय कर दी हैं। इस फैसले से इन खनिजों के ब्लॉक की नीलामी तेज होने की उम्मीद है। इससे लिथियम, टंगस्टन, दुर्लभ पृथ्वी तत्व (REEs) और नाइओबियम जैसे अन्य महत्वपूर्ण खनिजों का भी फायदा होगा।
सरकार का कहना है कि ग्रेफाइट पर 'एड वेलोरम' (बाजार मूल्य के अनुसार) रॉयल्टी तय करने से अलग-अलग ग्रेड के ग्रेफाइट के बाजार भाव के हिसाब से रॉयल्टी कलेक्शन होगा। इससे घरेलू उत्पादन बढ़ेगा, आयात पर निर्भरता कम होगी, सप्लाई चेन की दिक्कतें घटेंगी और लोगों के लिए नई नौकरियां भी पैदा होंगी।
#Cabinet approves rationalization of royalty rates of Graphite, Caesium, Rubidium and Zirconium minerals critical for Green Energy
— PIB India (@PIB_India) November 12, 2025
Graphite, Caesium, Rubidium and Zirconium are important minerals for high-tech applications and energy transition. Graphite and Zirconium are also… pic.twitter.com/iM1xlyQMxz
चीन पर निर्भरता होगी कमसरकार के इस कदम से रेयर अर्थ को लेकर चीन पर निर्भरता कम होगी। ये चारों दुर्लभ खनिज काफी महत्वपूर्ण हैं। ग्रेफाइट को इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की बैटरियों में एनोड के रूप में इस्तेमाल होता है। जिरकोनियम परमाणु ऊर्जा, एयरोस्पेस और स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत इस्तेमाल होता है। सीजियम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, एटॉमिक क्लॉक, जीपीएस सिस्टम और कुछ कैंसर के इलाज में काम आता है। वहीं रुबिडियम का इस्तेमाल खास तरह के ग्लास, फाइबर ऑप्टिक्स, टेलीकम्युनिकेशन और नाइट विजन सिस्टम में होता है।
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