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इन तीन रेंज का चुनावी नतीजा तय करेगा NDA का भविष्य, परसों खुल रहा शाहाबाद-मगध और सीमांचल का EVM

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में NDA और महागबंधन दोनों ही अंतिम वार, नहीं स्वीकार हार के मूल मंत्र के साथ चुनावी जंग में उतरे। दूसरे चरण में NDA के लिए बड़ी चुनौती थी, खासकर शाहाबाद, मगध और सीमांचल। इन इलाकों में कुछ जगहों पर बंपर वोटिंग हुई है। खैर समझिए कैसे इन तीन रेंज की सीटें निभा सकती हैं सत्ता पाने में अहम भूमिका।


शाहाबाद रेंज का समीकरण

शाहाबाद में चार जिले आते हैं। इनमें भोजपुर,रोहतास, कैमूर और बक्सर शामिल हैं। 2020 के चुनाव में शाहाबाद में NDA को 22 में से सिर्फ दो सीटें मिली थी, 20 पर महागठबंधन ने जीत दर्ज की थी। इनमें भोजपुर के दो सीटें यानी बड़हरा और आरा बीजेपी ने जीती। संदेश, अंगियाव, तरारी, जगदीशपुर और शाहपुर विधानसभा में महागठबंधन ने कैमूर, रोहतास और बक्सर में तो NDA को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी। कैमूर के रामगढ़ मोहनिया, भभुआ और चैनपुर , रोहतास में चेनारी, सासाराम, करगहर, नोखा, डेहरी, दिनारा और काराकाट, बक्सर की ब्रह्मपुर, बक्सर, डुमरांव और राजपुर विधानसभा में विपक्ष ने परचम लहराया था। यहां NDA कुछ सीटें और हासिल करने की जंग में शामिल है।


मगध रेंज का समीकरण
मगध रीजन के चार जिलों में NDA को 26 विधानसभा सीटों में सिर्फ पांच सीटें हासिल हुई थी। इनमें गया में चार सीटें NDA को मिली थी जिनमें गया, इमामगंज, टेकारी और बाराचट्टी शामिल हैं। जबकि गुरुआ, शेरघाटी, बोधगया, बेला और अतरी में विपक्ष ने जीत दर्ज की थी।कुर्था और अरवल विधानसभा, जहानाबाद में घोसी, जहानाबाद और औरंगाबाद जिले के गोह, ओबरा, नवीनगर, कुटुंबा,रफीगंज और औरंगाबाद में विपक्ष ने जीत दर्ज की थी। इसलिए NDA के रणनीतिकारों को यहां हासिल करने लिए 21 विधानसभा सीटें हैं।


सीमांचल रेंज का हाल जानिए
सीमांचल में पूर्णिया,कटिहार,अररिया और किशनगंज जिला शामिल हैं। इनमें पूर्णिया ,कटिहार और अररिया के 20 विधानसभा में 12सीटें ही NDA के पास हैं। किशनगंज में तो एक भी सीट NDA के पास नहीं है। यानी NDA को हासिल करने को कुल 12 सीटें हैं।


NDA के लिए चुनौती
सीमांचल, मगध और शाहाबाद की जंग NDA के लिए काफी महत्वपूर्ण है। सीमांचल में NDA घुसपैठियों और विकास पर दांव खेल रही है तो मगध और शाहाबाद में NDA ने जंगलराज और विकास के मुद्दे पर विपक्ष की घेराबंदी की है। यहां जितनी भी नई सीटें हासिल होंगी, NDA को सरकार बनाने में उतनी ही आसानी होगी।
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