कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के विपक्षी नेता सुवेंदु अधिकारी की दिसंबर 2022 में मिली ‘जबरन कार्रवाई से सुरक्षा’ वाली अंतरिम राहत को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सुरक्षा के रूप में कोई भी अंतरिम आदेश अनलिमिटेड पीरियड तक जारी नहीं रह सकता। इस फैसले के बाद अब राज्य प्रशासन हाईकोर्ट की अनुमति के बिना सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज कर सकता है।
कोर्ट ने एसआईटी गठित करने का दिया आदेश
कोर्ट ने सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर कई मामलों की जांच के लिए सीबीआई और राज्य पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की एक एसआईटी गठित करने का आदेश दिया है। इसके अलावा सिंगल जज बेंच ने 15 अन्य लंबित मामलों को खारिज कर दिया। जांच के दायरे में आने वाले मामलों में कोलकाता में दर्ज एक कथित नौकरी घोटाला मामला और दूसरा मामला तमुलुक पुलिस को कथित धमकी देने का भी है।
दिसंबर 2022 में सुवेंदु को कोर्ट से मिली थी राहत
इससे पहले दिसंबर 2022 में कोर्ट की एक सिंगल-जज बेंच ने राज्य को 29 मामलों में सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई भी "जबरन उपाय" करने से रोका था। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि अदालत की अनुमति के बिना अधिकारी के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला दर्ज न किया जाए।
एफआईआर पर रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया
जिसके बाद कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि आर्टिकल 361 केवल राष्ट्रपति और राज्यपालों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन कोर्ट ने पुलिस को सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई भी "जबरन कार्रवाई" करने से पहले अदालत की अनुमति लेने का निर्देश दिया था और राज्य के पुलिस महानिदेशक को सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया था। जिसके बाद राज्य ने हाईकोर्ट के एफआईआर पर "पूर्ण रोक" लगाने वाले आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी लंबित मामलों को अंतिम निर्णय के लिए हाईकोर्ट भेज दिया और उन्हें शीघ्रता से निपटाने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने जुलाई में राज्य पुलिस को सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ सभी एफआईआर की केस डायरी जमा करने का निर्देश दिया था, लेकिन उस समय सुरक्षा आदेश वापस नहीं लिया था।
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