आगरा: सोशल मीडिया पर भारत की सबसे सुंदर अघोरी साध्वी कही जाने वाली अघोरी चंचलनाथ जी गुरुवार को आगरा पहुंचीं। उन्हें ताजमहल देखना था लेकिन उन्हें सीआईएसएफ ने गेट पर ही रोक लिया। उनके हाथ में एक त्रिशूल और डमरू था। सुरक्षा एजेंसियों को उस पर ऐतराज था। चंचलनाथ दोनों को बाहर रखने पर राजी हो गईं। लेकिन एजेंसियां उनके हाथ में रखे एक पात्र को अंदर नहीं ले जाने दे रही थीं। यहीं पर खेल बिगड़ गया। चंचलनाथ ने कहा कि यह उनके लिए बेहद जरूरी है। लेकिन सुरक्षा में तैनात लोग नहीं माने। चंचलनाथ गेट से ही लौट गईं।
असल में उनके हाथ में जो पात्र था उसे अघोरी खप्पर कहते हैं। उसी में वह भोजन करते हैं और उसी का प्रयोग अघोर साधना में किया जाता है। उसकी पवित्रता बहुत जरूरी है। इसी वजह से चंचलनाथ जी ने खप्पर छोड़ने की जगह ताजमहल देखे बिना वापस लौटना उचित समझा।
चंचलनाथ जी की कहानी बड़ी दिलचस्प है। कहने को तो वह वैरागी अघोरी हैं लेकिन उनका सोशल मीडिया पेज भी है। इंस्टाग्राम पर अकाउंट है। हालांकि यह पुष्ट नहीं है कि वही इसे ऑपरेट करती हैं या उनके फैन। लेकिन इन पर मौजूद फोटो और वीडियो बताते हैं कि अघोरी होने के बाद भी उनकी लाइफस्टाइल बडे़-बड़े सिलेब्रिटीज जैसी है।
उनके जीवन के बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनके पैरेंट्स आध्यात्मिक विचारों के थे। उन्होंने सात साल की छोटी सी उम्र में ही चंचलनाथ को उनके गुरु को सौंप दिया। तभी से उन्होंने साधना करनी शुरू कर दी। किशोरावस्था के बाद वे पश्चिम बंगाल से बाहर आकर भारत भर में घूमने लगीं। उनके गुरु का देहांत इसी साल मार्च में हो गया।
फिर एक दिन हरियाणा के करनाल जिले के रायपुरा गांव में आकर बस गईं। यहीं उनका आलीशान आश्रम है। यहीं पर उन्होंने मां काली की भव्य प्रतिमा स्थापित करवाई। पश्चिम बंगाल से इतनी दूर क्यों बस गईं। इस पर वह कहती हैं, यहां के लोग साधु-संतों का बहुत सम्मान करते हैं। उनकी आस्था अटूट है। इसी वजह से मेरा मन यहीं रम गया।
चंचलनाथ की चमत्कारी शक्तियों की भी खूब चर्चा होती है। कहते हैं कि वह खाली हाथों से हवन में आग जला देती हैं, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो वायरल हैं, जिसमें वे नींबू को हवा में तैराते हुए दिखती हैं। लोग कहते हैं कि उनके आशीर्वाद से जिंदगी बदल जाती है।
असल में उनके हाथ में जो पात्र था उसे अघोरी खप्पर कहते हैं। उसी में वह भोजन करते हैं और उसी का प्रयोग अघोर साधना में किया जाता है। उसकी पवित्रता बहुत जरूरी है। इसी वजह से चंचलनाथ जी ने खप्पर छोड़ने की जगह ताजमहल देखे बिना वापस लौटना उचित समझा।
चंचलनाथ जी की कहानी बड़ी दिलचस्प है। कहने को तो वह वैरागी अघोरी हैं लेकिन उनका सोशल मीडिया पेज भी है। इंस्टाग्राम पर अकाउंट है। हालांकि यह पुष्ट नहीं है कि वही इसे ऑपरेट करती हैं या उनके फैन। लेकिन इन पर मौजूद फोटो और वीडियो बताते हैं कि अघोरी होने के बाद भी उनकी लाइफस्टाइल बडे़-बड़े सिलेब्रिटीज जैसी है।
उनके जीवन के बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनके पैरेंट्स आध्यात्मिक विचारों के थे। उन्होंने सात साल की छोटी सी उम्र में ही चंचलनाथ को उनके गुरु को सौंप दिया। तभी से उन्होंने साधना करनी शुरू कर दी। किशोरावस्था के बाद वे पश्चिम बंगाल से बाहर आकर भारत भर में घूमने लगीं। उनके गुरु का देहांत इसी साल मार्च में हो गया।
फिर एक दिन हरियाणा के करनाल जिले के रायपुरा गांव में आकर बस गईं। यहीं उनका आलीशान आश्रम है। यहीं पर उन्होंने मां काली की भव्य प्रतिमा स्थापित करवाई। पश्चिम बंगाल से इतनी दूर क्यों बस गईं। इस पर वह कहती हैं, यहां के लोग साधु-संतों का बहुत सम्मान करते हैं। उनकी आस्था अटूट है। इसी वजह से मेरा मन यहीं रम गया।
चंचलनाथ की चमत्कारी शक्तियों की भी खूब चर्चा होती है। कहते हैं कि वह खाली हाथों से हवन में आग जला देती हैं, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो वायरल हैं, जिसमें वे नींबू को हवा में तैराते हुए दिखती हैं। लोग कहते हैं कि उनके आशीर्वाद से जिंदगी बदल जाती है।
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