बालोद: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक अनोखी शव यात्रा निकाली गई। इस शव यात्रा को जिसने भी देखा वह हैरान रह गया। यह कोई नाटक या शोभा यात्रा नहीं थी बल्कि एक बुजुर्ग की अंतिम यात्रा थी। शव यात्रा के आगे-आगे कुछ लोग यमराज की पोशाक पहनकर चल रहे थे तो कुछ लोग ढोल नगाड़े लेकर लोकगीत गा रहे थे। हालांकि इस दौरान सभी की आंखें नम दी। जगह-जगह पर शव यात्रा को रोककर लोग अंतिम विदाई दे रहे थे।
दरअसल, बालोद जिले के फुलझर गांव में रहने वाले बिहारीलाल यादव की मौत हो गई। मौत के बाद उनके समर्थकों और प्रशंशकों ने एक अनोखी शव यात्रा निकाली। इस शव यात्रा में लोग छत्तीसगढ़िया परंपरा के वेशभूषा, लोकगीत और नाचते-गाते हुए जा रहे थे।
कौन थे बिहारी लाल यादव
स्थानीय लोगों ने बताया कि बिहारी लाल यादव के कारण ही हमारे गांव की पहचान प्रदेशभर में है। स्थानीय लोगों ने बताया कि वह एक कलाकार थे। उनका नृत्य और संगीत सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे। इसके साथ ही वह रंगमंच पर महिलाओं का किरदार निभाते थे। उनके किरदार को देखकर लोगों की आंखों में आंसू आ जाते थे। इसके अलावा वह गायन और फाग गान में भी काफी फेमस थे।
स्थानीय लोगों को कहना है बिहारी लाल यादव के कारण ही हमारे गांव की अलग पहचान है। उनके कारण ही हमारे गांव की ख्याति है। इसी कारण से उनकी मौत के बाद एक अनोखी शव यात्रा निकाली गई। रंगमंच पर वह जिस तरह के किरदार निभाते थे और गीत गाते थे उसी तरह के कपड़े पहनकर कुछ लोग शव यात्रा में शामिल हुए। वहीं, उनके लिखे गीत को उनकी अंतिम यात्रा में सुनाया गया।
हर किसी की नम थीं आंखें
फुलझर निवासी बिहारीलाल यादव की मौत 80 साल से ज्यादा की उम्र में हुई। परिजनों के अनुसार, वह उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। बिहारीलाल यादव के अंतिम संस्कार के दौरान हर किसी की आंखें नम थीं।
दरअसल, बालोद जिले के फुलझर गांव में रहने वाले बिहारीलाल यादव की मौत हो गई। मौत के बाद उनके समर्थकों और प्रशंशकों ने एक अनोखी शव यात्रा निकाली। इस शव यात्रा में लोग छत्तीसगढ़िया परंपरा के वेशभूषा, लोकगीत और नाचते-गाते हुए जा रहे थे।
कौन थे बिहारी लाल यादव
स्थानीय लोगों ने बताया कि बिहारी लाल यादव के कारण ही हमारे गांव की पहचान प्रदेशभर में है। स्थानीय लोगों ने बताया कि वह एक कलाकार थे। उनका नृत्य और संगीत सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे। इसके साथ ही वह रंगमंच पर महिलाओं का किरदार निभाते थे। उनके किरदार को देखकर लोगों की आंखों में आंसू आ जाते थे। इसके अलावा वह गायन और फाग गान में भी काफी फेमस थे।
स्थानीय लोगों को कहना है बिहारी लाल यादव के कारण ही हमारे गांव की अलग पहचान है। उनके कारण ही हमारे गांव की ख्याति है। इसी कारण से उनकी मौत के बाद एक अनोखी शव यात्रा निकाली गई। रंगमंच पर वह जिस तरह के किरदार निभाते थे और गीत गाते थे उसी तरह के कपड़े पहनकर कुछ लोग शव यात्रा में शामिल हुए। वहीं, उनके लिखे गीत को उनकी अंतिम यात्रा में सुनाया गया।
हर किसी की नम थीं आंखें
फुलझर निवासी बिहारीलाल यादव की मौत 80 साल से ज्यादा की उम्र में हुई। परिजनों के अनुसार, वह उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। बिहारीलाल यादव के अंतिम संस्कार के दौरान हर किसी की आंखें नम थीं।
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