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रूस ने अब सुपर सुखोई Su-57M1 जेट बनाकर दुश्मनों को चौंकाया, अमेरिकी F-35 और चीनी J-20 को टक्कर, खरीदेगा भारत?

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मॉस्को: रूस का पहला फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट सुखोई Su-57 'फेलन', जब दुनिया के सामने आया तो कई एक्सपर्ट्स ने उसकी क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। पश्चिमी विशेषज्ञों और स्वतंत्र रक्षा विश्लेषकों ने इसे अमेरिकी F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग II जैसे विमानों की बराबरी करने के बराबर ही नहीं माना। यहां तक कि इसे चीन के J-20 ‘माइटी ड्रैगन’ और शेनयांग J-35 (FC-31) से भी पीछे आंका गया। डिफेंस एक्सपर्ट्स ने रूसी फाइटर जेट की सबसे बड़ी कमजोरी ये बताया कि इस फाइटर जेट का अपना खुद का इंजन नहीं बनाया गया, जबकि पायलट अभी भी पुराने हेलमेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे युद्ध की सही जानकारी पूरी तरह से नहीं मिल पाती है।



लेकिन अब रूस ने दुनिया को चौंकाते हुए एसयू-57 फाइटर जेट का एडवांस वैरिएंट पेश किया है, जिसे सुपर सुखोई कहा जा रहा है। इसका नाम Su-57M1 है, जो एसयू-57 के मुकाबले काफी ज्यादा घातक है और इसमें कई बदलाव किए गये हैं। यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन का दावा है कि इसमें एयरफ्रेम से लेकर इंजन तक को लेकर कई बड़े बदलाव किए गए हैं और नए हेलमेट-माउंटेड टारगेटिंग सिस्टम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की सुविधा दी गई है। यह नया स्टेल्थ जेट 2026 के अंत तक रूसी एयरस्पेस फोर्सेस में शामिल हो सकता है।



रूस ने बनाया सुपर सुखोई Su-57M1

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, Su-57M1 सुपर सुखोई लड़ाकू विमान को रूस ने अपनी सबसे घातक एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस करना शुरू कर किया है। पहले Su-57 ने R-37M मिसाइल लगाया गया था, जो 400 किलोमीटर दूर तक मार कर सकती है और जिसकी मैक 6 की स्पीड है। लेकिन भारी वजन की वजह से ये एसयू-57 के पेट (internal bay) में फिट नहीं हो पाता था। इससे एसयू-57 लड़ाकू विमान की स्टील्थ क्षमता कम हो जाती थी। इस समस्या का समाधान करने के लिए रूस ने इज़्देलिये 810 मिसाइल विकसित की, जिसकी लंबाई 4 मीटर और वजन सिर्फ 400 किलोग्राम है। इसके अलावा इस मिसाइल की स्पीड 7-9 मैक के बीच है।



एसयू-57 लड़ाकू विमान की दूसरी बड़ी कमजोरी इंजन की थी। शुरुआती Su-57 में पुराने Saturn AL-41F-1 इंजन लगाए गये थे, जो Su-35S का ऑरिजनल इंदन था। इस इंजन की वजह ये ये फाइटर जेट, अमेरिकी और चीनी स्टेल्थ इंजनों की तुलना में थोड़ा कमजोर माना जा रहा था। लेकिन अब इसे नए AL-51F1 इंजन से लैस किया जा रहा है। यह इंजन न सिर्फ ज्यादा थ्रस्ट (17,000 kgf तक) जेनरेट करता है, बल्कि कम हीट उत्पन्न करता है, जिससे ना सिर्फ फाइटर जेट की स्टील्थ क्षमता बनी रहती है, बल्कि सुपरक्रूज क्षमता (afterburner के बिना Mach 2 से ज्यादा स्पीड) और कम Radar Cross Section (RCS) भी सुनिश्चित करता है।



Su-57M1 में एयरफ्रेम और रडार का फिर से डिजाइन

रूस ने Su-57M1 के RCS को कम करने के साथ-साथ सुपरसोनिक गति पर बेहतर वायुगतिकीय लिफ्ट और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एयरफ्रेम को फिर से डिजाइन किया है। इसके फ्यूजलेज और आंतरिक हथियार बे को इसकी स्टेल्थ क्षमता बढ़ाने के लिए संशोधित किया गया है। एक नए सक्रिय इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) N036 बेल्का रडार और एक एडवांस प्राथमिक सेंसर के साथ, Su-57M1 दुश्मन के क्षेत्र में गहराई से और बेहतर तरीके से देख सकता है। N036 बेल्का के साथ, सुखोई पायलट 60 लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक कर सकते हैं और एक साथ हवा में 16 लक्ष्यों को मार गिरा सकता है। वहीं जमीन पर एक मौजूद एक साथ चार लक्ष्यों पर हमला किया जा सकता है। यही नहीं, विमान में अब AI सिस्टम लगाया गया है, जो पायलट और ग्राउंड क्रू को एक ही बटन से मिशन-रेडी डेटा देता है। इस वजह से तैयारी का समय घट जाता है और मिशन क्षमता बढ़ती है।



नए Su-57M1 के पायलट अब एक आधुनिक हेलमेट-माउंटेड टारगेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करेंगे, जो विमान के सभी सेंसर डेटा को सीधे वाइजर पर दिखाता है और युद्ध के समय पायलट को लगातार लाइव जानकारी देता है। हालांकि यह अब भी अमेरिकी F-35 या चीनी J-20, J-35 के डिस्ट्रीब्यूटेड अपर्चर सिस्टम (DAS) जितना एडवांस नहीं है। फिर भी DAS से पायलट अपने विमान के पार भी देख सकते हैं, जैसे पूरा विमान पारदर्शी हो। इसीलिए सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या अब भारत सुपर सुखोई खरीदने में दिलचस्पी लेगा?

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