News India Live, Digital Desk: Land for Job Scam: राजनीति के गलियारों में हलचल एक बार फिर तेज़ हो गई है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से जुड़े 'ज़मीन के बदले नौकरी' घोटाले में दिल्ली की एक अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब सबकी निगाहें इसी बात पर टिकी हैं कि क्या लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और अन्य आरोपियों पर आरोप तय किए जाएंगे या उन्हें राहत मिलेगी. यह फैसला लालू परिवार के राजनीतिक भविष्य के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश किरण बंसल ने मामले में शामिल सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह 29 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाएंगी.क्या है यह 'ज़मीन के बदले नौकरी' का पूरा मामला?यह मामला उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 के बीच केंद्र में UPA सरकार में रेल मंत्री थे. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का आरोप है कि इस दौरान लालू यादव और उनके परिवार ने रेलवे में ग्रुप 'डी' की नौकरियों के बदले में कई लोगों से उनकी ज़मीनें औने-पौने दामों पर अपने नाम करवा लीं.CBI के मुताबिक, यह सब एक सोची-समझी साज़िश के तहत किया गया. पहले उम्मीदवारों को रेलवे में अस्थायी तौर पर भर्ती किया जाता था और जब उनकी ज़मीन की रजिस्ट्री लालू परिवार के सदस्यों या उनके करीबियों के नाम पर हो जाती थी, तो उन्हें स्थायी (permanent) कर दिया जाता था. जांच एजेंसी का कहना है कि इस तरह से कई उम्मीदवारों को बिना किसी सार्वजनिक सूचना या प्रक्रिया के सीधे नौकरी दे दी गई.CBI ने कोर्ट में क्या दलीलें दीं?मामले की सुनवाई के दौरान CBI ने कोर्ट को बताया कि उनके पास आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं. CBI का कहना है कि उनके पास ऐसे दस्तावेज़ हैं जो यह साबित करते हैं कि ज़मीन के सौदे और नौकरियों के बीच सीधा संबंध है. एजेंसी ने दावा किया कि उन्होंने इस घोटाले में पैसों के लेन-देन (money trail) का भी पता लगा लिया है, जो सीधे तौर पर लालू परिवार से जुड़ता है.लालू के वकील ने क्या कहा?दूसरी तरफ, लालू प्रसाद यादव के वकीलों ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताया है. उनका कहना है कि CBI के पास ऐसा कोई भी ठोस सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि ज़मीनों का नौकरियों से कोई लेना-देना था. उन्होंने दलील दी कि यह पूरा मामला सिर्फ लालू यादव और उनके परिवार की छवि खराब करने के लिए बनाया गया है.इस मामले में लालू परिवार के अलावा रेलवे के कुछ तत्कालीन बड़े अधिकारी भी आरोपी हैं. अब 29 अक्टूबर को ही यह साफ हो पाएगा कि इस मामले में आगे मुकदमा चलेगा या नहीं. अगर अदालत आरोप तय करने का आदेश देती है, तो लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ना तय है, और अगर अदालत उन्हें आरोपमुक्त कर देती है, तो यह उनके लिए एक बड़ी राजनीतिक और कानूनी जीत होगी.
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