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दिल्ली के आसमान में होगा 'केमिकल ब्लास्ट'! बटन दबते ही होगी बारिश, ज़हरीली हवा से मिलेगी राहत

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दिल्ली की हवा में फिर से'ज़हर'घुल गया है। दिवाली के बाद हर साल की तरह इस बार भी प्रदूषण ने राजधानी को अपनी चपेट में ले लिया है और लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। लेकिन इस बार,इस'गैस चैंबर'से निपटने के लिए दिल्ली सरकार एक ऐसा तरीका अपनाने जा रही है,जो किसी साइंस-फिक्शन फिल्म जैसा लगता है -कृत्रिम बारिश।इसके लिए एक खास विमान कानपुर से मेरठ पहुंच चुका है,जो अगले तीन दिनों के अंदर दिल्ली के आसमान में यह जादू दिखा सकता है। इस विमान के पंखों पर8-10केमिकल के पैकेट लगे होंगे,जिन्हें एक बटन दबाकर बादलों में'ब्लास्ट'किया जाएगा।क्या है ये क्लाउड सीडिंग?बादलों को बारिश के लिए उकसाना!क्लाउड सीडिंग मौसम को बदलने की एक कमाल की तकनीक है। आसान भाषा में समझें,तो यह बादलों में बारिश के'बीज'बोने जैसा है। इसमें विमान की मदद से पहले से मौजूद नम बादलों में कुछ खास केमिकल छिड़के जाते हैं। ये केमिकल पानी की छोटी-छोटी बूंदों के लिए एक चुंबक की तरह काम करते हैं,उन्हें आपस में जोड़कर बड़ा और भारी बनाते हैं। जब बूंदें इतनी भारी हो जाती हैं कि बादल उन्हें रोक नहीं पाते,तो वे बारिश बनकर बरस पड़ती हैं।दिल्ली में इस प्रोजेक्ट का मकसद है हवा में जमे प्रदूषक कणों को पानी के साथ धोकर नीचे लाना। इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत लगभग₹3.21करोड़है,जिसे आईआईटी कानपुर,मौसम विभाग और दिल्ली सरकार मिलकर अंजाम दे रहे हैं।विमान में कैसे होगा'केमिकल ब्लास्ट'?समझिए पूरी प्रक्रिया स्टेप-बाय-स्टेपयह पूरा ऑपरेशन5खास सेसना विमानों की मदद से किया जाएगा। हर विमान करीब90मिनट की उड़ान भरेगा। चलिए,समझते हैं कि यह पूरा जादू होगा कैसे...स्टेप1:तैयारी - पंखों पर लगे केमिकल के'पैकेट'विमान के दोनों पंखों (विंग्स) के नीचे8से10खास जेबें या पैकेट लगाए जाते हैं। इन पैकेट्स में बारिश कराने वाला'मसाला'यानी केमिकल भरा होता है। यह केमिकल मुख्य रूप सेसिल्वर आयोडाइड,पोटैशियम आयोडाइडया सूखी बर्फ (Dry Ice)होता है। ये रसायन पानी की बूंदों के लिए'बीज'का काम करते हैं।स्टेप2:उड़ान - बादलों के बीचपायलट इस विमान को उन नम बादलों के बीच ले जाता है,जहां बारिश की संभावना सबसे ज्यादा होती है। विमान दिल्ली-एनसीआर के सबसे प्रदूषित इलाकों के ऊपर,लगभग3-5किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरेगा। एक उड़ान में करीब100वर्ग किलोमीटर का एरिया कवर करने का लक्ष्य है।स्टेप3:बटन दबा और शुरू हुआ जादू!जब विमान सही जगह पर पहुंच जाता है,तो पायलट एक बटन दबाता है। इस बटन को दबाते ही पंखों पर लगे पैकेट फट जाते हैं और उनमें भरा केमिकल बादलों में पटाखों की तरह फैल जाता है। यह केमिकल हवा में मौजूद नमी और पानी की छोटी-छोटी बूंदों से चिपकना शुरू कर देता है। देखते ही देखते, 20-30मिनट के अंदर ये बूंदें भारी होकर हल्की बारिश के रूप में बरसने लगती हैं,और अपने साथ हवा में मौजूद ज़हरीले कण (PM2.5)और धूल को धोकर नीचे ले आती हैं।इस बारिश से क्या फायदा होगा?इस कृत्रिम बारिश से दिल्ली की जहरीली हवा को तुरंत राहत मिलेगी।हवा की धुलाई:यह हल्की बारिश हवा में जमे धुएं,धूल और खतरनाक प्रदूषकों को धोकर साफ कर देगी।AQIमें भारी कमी:दिल्ली काAQIजो अक्सर300-400के खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है,वह घटकर100-200की रेंज में आ सकता है।चीन और यूएई जैसे देश सालों से इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। चीन ने तो2008के ओलिंपिक के दौरान इस तकनीक से प्रदूषण को40%तक कम कर दिया था। अब देखना यह है कि दिल्ली के लिए यह'जादुई बारिश'कितनी कारगर साबित होती है।
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