सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला द्वारा अपने पति और रिश्तेदारों के खिलाफ दायर दहेज उत्पीड़न की शिकायत को खारिज कर दिया है। जिसमें कोर्ट ने कहा, ‘इस मामले में पति के रिश्तेदारों को गलत तरीके से परेशान किया जा रहा है। पति-पत्नी के बीच तलाक के तीन साल बाद भी दहेज उत्पीड़न और धारा 498 (ए) के तहत शिकायत दर्ज नहीं कराई गई। उन्होंने कहा, “जब दोनों के बीच कोई रिश्ता ही नहीं है तो पति और उसका परिवार दहेज के लिए उसे कैसे परेशान कर सकता है?”
पति और रिश्तेदारों पर झूठा आरोप लगाया
अपने पिछले निर्णयों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय करोल और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा, “हमें यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि इस मामले में पति के रिश्तेदारों पर गलत आरोप लगाया गया है।” क्योंकि, उनके नाम तो शिकायत में दर्ज कर दिए गए हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया है।
उत्तर प्रदेश की एक महिला ने तलाक के तीन साल बाद दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई
यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश का है। इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पति के रिश्तेदारों के खिलाफ निचली अदालत के समन को रद्द करने से इनकार कर दिया था, इसलिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पति और रिश्तेदारों के खिलाफ अगस्त 2015 में शिकायत दर्ज कराई गई थी। वर्ष 2010 में महिला ने अपने पति का घर छोड़ दिया और अपने माता-पिता के साथ रहने लगी। ससुराल वालों ने दावा किया कि पति उसे वापस लाने गया था। हालाँकि, बाद में पत्नी के इनकार करने पर पति ने अदालत में तलाक की अर्जी दायर कर दी। वर्ष 2012 में तलाक मिलने के तीन साल बाद महिला ने दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष अपील दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की
पत्नी ने दावा किया कि 2015 में मेरे पति और ससुराल वाले मेरे घर आए और मुझसे दहेज की मांग की। इसके साथ ही धमकियां भी दी गईं। मजिस्ट्रेट ने आवेदन को शिकायत के रूप में स्वीकार कर लिया और सम्मन भेज दिया। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह विश्वास करना कठिन है कि किस कारण से पति और उसका परिवार पत्नी के घर गया होगा और दोनों के अलग होने के बाद उन्हें फिर से मिलाने की कोशिश की होगी। शायद यदि ऐसी कोई घटना घटित भी हुई होती, तो शिकायतकर्ता महिला और आरोपी के बीच पति-पत्नी के रूप में रिश्ता पहले ही टूट चुका होता, इसलिए पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 498 (ए) और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत मामला नहीं बनता।
The post first appeared on .
You may also like
जो समझते हैं महाभारत को झूठ वो देख लें महाभारत को सच साबित करने वाले ये 9 जिन्दा सबूत ∘∘
शनिदेव पर क्यों चढ़ाया जाता है सरसो का तेल..? क्या है इसका वैज्ञानिक और धार्मिक कारण, जानकर हो जायेंगे हैरान ∘∘
हर महीने इतना कमाते हैं बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, हैरान कर देगी कुल संपत्ति ∘∘
शनिवार से मार्गी हुए देव गुरु वृहस्पति, इन राशि के जातकों के लिए खुल गए तरक्की के द्वार…
Horoscope for April 21, 2025: What the Stars Hold for You Today