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ओशो के विचार: अहंकार से मुक्ति के 5 उपाय

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अहंकार की पहचान और ओशो की शिक्षाएँ

हम अक्सर यह मानते हैं कि हमारी पहचान हमारे ज्ञान, उपलब्धियों और अनुभवों से बनती है। लेकिन इस सोच के साथ एक खतरनाक भावना - अहंकार - भी विकसित होती है। ओशो रजनीश, जिनकी जीवनशैली और विचार आत्म-साक्षात्कार और आंतरिक स्वतंत्रता का प्रतीक माने जाते हैं, ने इस मानसिकता को समझने और इससे छुटकारा पाने के लिए कई उपाय बताए हैं। उनका मानना है कि अहंकार व्यक्ति को भीतर से खोखला कर देता है और जीवन को बोझिल बना देता है।



अहंकार की परिभाषा


ओशो के अनुसार, अहंकार एक झूठा "मैं" है, जो समाज, संस्कृति, उपलब्धियों या रिश्तों से निर्मित होता है, लेकिन इसका हमारे असली अस्तित्व से कोई संबंध नहीं होता। यह "मैं" खुद को दूसरों से बेहतर समझता है, जिससे तुलना और प्रतिस्पर्धा की प्रक्रिया शुरू होती है, जो अंततः दुख का कारण बनती है।


अहंकार से बचने के उपाय

1. आत्म-ज्ञान की ओर बढ़ें


ओशो का कहना है, "आपको दुनिया को जानने की आवश्यकता नहीं है, पहले खुद को जानें।" अपने भीतर की गहराई में जाने का अर्थ है ध्यान की ओर अग्रसर होना। जब कोई व्यक्ति अपनी आंतरिक यात्रा शुरू करता है, तो वह अहंकार के झूठे आवरण को पहचानता है और उससे ऊपर उठने में सक्षम होता है।


2. जागरूकता के साथ जीवन जिएं


ओशो के अनुसार, जब हम जागरूकता से जीते हैं, तो हम प्रतिक्रियाओं का शिकार नहीं होते। अहंकार तब विकसित होता है जब कोई हमारा अपमान करता है और हम प्रतिक्रिया करते हैं। लेकिन यदि हम उस क्षण को जागरूकता से देखते हैं, तो हम समझते हैं कि यह हमारा "मैं" है जो आहत होता है, आत्मा नहीं।


3. निस्वार्थ प्रेम अपनाएँ


ओशो कहते हैं, "जहाँ प्रेम है, वहाँ अहंकार नहीं है।" दूसरों के प्रति निस्वार्थ प्रेम और करुणा विकसित करने से अहंकार का प्रभाव कम होता है। प्रेम का अर्थ है खुद को और दूसरों को स्वीकार करना।


4. सच्ची विनम्रता को समझें


ओशो दिखावटी विनम्रता के खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि यदि आप खुद को विनम्र साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, तो वह भी अहंकार का एक रूप है। सच्ची विनम्रता तब आती है जब व्यक्ति अपना "मैं" त्याग देता है।


5. मृत्यु की वास्तविकता को समझें


ओशो ने कहा, "मृत्यु अहंकार का इलाज है।" जब हम समझते हैं कि हम स्थायी नहीं हैं, तब "मैं" की पकड़ कमजोर होने लगती है। मृत्यु का एहसास हमें सरल और सच्चा बनाता है।


ओशो की शिक्षाएँ आज के लिए प्रासंगिक

आज की तेज़ रफ्तार वाली दुनिया में, लोग एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में अपनी आंतरिक शांति खो रहे हैं। सोशल मीडिया और करियर की दौड़ में खुद को साबित करने की मानसिकता बढ़ रही है। ओशो की शिक्षाएँ आज पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। उनका यह विचार कि "आप एक शून्य हैं, और इस शून्य में परम सत्य छिपा है" हमें गहन आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है। उनका संदेश हमें यह समझाता है कि आत्म-सम्मान और अहंकार में अंतर है। आत्म-सम्मान वास्तविक है, जबकि अहंकार नकली है।


ध्यान: अहंकार का समाधान


ओशो ने कहा, "केवल ध्यान के माध्यम से ही आपका अहंकार टूटता है।" ध्यान की अवस्था में, हम केवल साक्षी बन जाते हैं - घटनाओं, विचारों, भावनाओं और अपने "मैं" के भी।


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