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राजस्थान में 13 साल बाद वकील को AIBE में फेल बताया गया, हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को तलब किया

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राजस्थान में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक वकील को 13 साल बाद ऑल इंडिया बार एग्जाम (AIBE) में फेल घोषित कर दिया गया। इस घटना ने न केवल वकील समुदाय में हलचल मचा दी है, बल्कि न्याय व्यवस्था और परीक्षा रिकॉर्ड की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा कर दिया है।

इस गंभीर मामले पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। जस्टिस समीर जैन ने वकील भागीरथ की याचिका पर सुनवाई के दौरान बार काउंसिल ऑफ राजस्थान (BCR) के सचिव को 9 सितंबर को सभी संबंधित रिकॉर्ड के साथ कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरी जानकारी और दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक है।

सूत्रों के अनुसार, वकील भागीरथ ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें 13 साल पहले सफलतापूर्वक AIBE पास करने का प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ था और वे वर्षों से कानूनी पेशे में सक्रिय हैं। अचानक 13 साल बाद उन्हें फेल घोषित कर दिया जाना उनके पेशेवर करियर और प्रतिष्ठा के लिए गंभीर परिणाम उत्पन्न कर सकता है।

इस मामले ने यह सवाल उठाया है कि बार काउंसिल और परीक्षा प्रणाली में रिकॉर्डिंग और दस्तावेजों का अद्यतन कैसे सुनिश्चित किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि वकीलों की परीक्षा और लाइसेंसिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीक रिकॉर्ड रखना अत्यंत आवश्यक है। 13 साल बाद किसी को फेल घोषित करना केवल व्यक्तिगत करियर को प्रभावित नहीं करता, बल्कि पूरे पेशे की विश्वसनीयता पर भी असर डालता है।

वकील भागीरथ के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि यह निर्णय उनके पेशेवर जीवन और मान-प्रतिष्ठा के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है। उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया कि मामले की त्वरित सुनवाई की जाए और उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।

राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश में बार काउंसिल के सचिव को निर्देश दिया कि वे सभी परीक्षा परिणाम, पंजीकरण रिकॉर्ड और संबंधित दस्तावेजों के साथ कोर्ट में पेश हों। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि रिकॉर्ड में कोई चूक या गड़बड़ी पाई जाती है, तो इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामले वकील समुदाय और आम जनता दोनों के लिए चेतावनी के रूप में हैं। यह स्पष्ट करता है कि परीक्षा और लाइसेंसिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का यह कदम सही समय पर हस्तक्षेप और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

इस मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर को होगी, जब बार काउंसिल सचिव अपने रिकॉर्ड के साथ कोर्ट में पेश होंगे। यह सुनवाई न केवल वकील भागीरथ के भविष्य के लिए अहम है, बल्कि राजस्थान में कानूनी पेशे की विश्वसनीयता और प्रक्रिया की पारदर्शिता के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

राजस्थान हाईकोर्ट की यह कार्रवाई यह संदेश देती है कि कानूनी पेशे और परीक्षा प्रक्रियाओं में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या चूक को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

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