हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बैच आधार पर नियुक्ति से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में आदेश जारी किया है। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी उम्मीदवार के प्रमाणपत्र की जारी होने की तारीख नहीं, बल्कि परीक्षा का वर्ष नियुक्ति और बैच निर्धारण में निर्णायक होगा।
इस मामले में याचिकाकर्ता ने आयुर्वेदिक फार्मेसी अधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। याचिकाकर्ता का डिप्लोमा प्रमाणपत्र अप्रैल 2006 में जारी हुआ था, लेकिन उसने परीक्षा वर्ष 2005 में उत्तीर्ण किया था। राज्य सरकार ने प्रारंभ में उसे उसी वर्ष के बैच के तहत नियुक्ति देने से इनकार किया था।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि उसे वर्ष 2005 बैच के तहत नियुक्ति दी जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि नियुक्ति में बैच निर्धारण के लिए परीक्षा वर्ष को प्राथमिक माना जाएगा, न कि प्रमाणपत्र जारी होने की तारीख को।
अदालत के इस आदेश से यह स्पष्ट हो गया कि सरकारी नियुक्तियों में उम्मीदवारों की योग्यता और बैच निर्धारण में परीक्षा वर्ष को मुख्य आधार माना जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भविष्य में बैच और नियुक्ति से जुड़े विवादों को कम करने में मदद मिलेगी और समानता के सिद्धांत को मजबूती मिलेगी।
याचिकाकर्ता ने अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि इससे उन्हें अपने पेशेवर भविष्य में स्पष्टता और न्याय मिला। उन्होंने बताया कि अदालत का यह निर्णय न केवल उनके लिए, बल्कि अन्य उम्मीदवारों के लिए भी मार्गदर्शक साबित होगा, जो बैच आधारित नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हैं।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार याचिकाकर्ता को नियुक्ति प्रक्रिया के तहत उचित पद और वेतन मिलेगा। इसके अलावा, सरकार ने कहा कि भविष्य में ऐसे मामलों में परीक्षा वर्ष को प्राथमिक आधार मानते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में स्पष्टता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इससे उम्मीदवारों में विश्वास और सरकारी नियुक्ति प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी।
हाईकोर्ट के इस निर्णय ने बैच आधारित नियुक्ति के नियमों को स्पष्ट किया है और राज्य सरकार सहित संबंधित विभागों के लिए भी मार्गदर्शन प्रदान किया है। अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि उम्मीदवारों को उनके वास्तविक योग्यताओं और परीक्षा वर्ष के अनुसार न्याय मिले।
इस प्रकार, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने परीक्षा वर्ष को बैच निर्धारण का आधार मानते हुए सरकारी नियुक्तियों में स्पष्टता और समानता सुनिश्चित की है। यह फैसला राज्य में बैच आधारित नियुक्ति प्रक्रिया के लिए मिसाल साबित होगा।
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