चीन के तियानजिन में शंघाई शिखर सम्मेलन की बैठक के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चिढ़ाने वाली एक और तस्वीर सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्विपक्षीय वार्ता के लिए एक ही कार में सवार होकर पहुँचे हैं। भारत-रूस की दोस्ती को तोड़ने की ट्रंप की लाख कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं क्योंकि औपचारिक वार्ता से पहले मोदी-पुतिन रिश्तों को निजी रंग देने के लिए एक ही कार में बैठे नज़र आए।
चीन में मोदी-पुतिन का हमसफ़र!यह कार चीनी सरकार द्वारा विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को मुहैया कराई जाती थी। लेकिन जब पुतिन और मोदी द्विपक्षीय वार्ता के लिए रवाना हुए, तो उन्होंने एक ही कार में यात्रा करना चुना। यह तस्वीर ट्रंप के लिए एक संदेश भी है, क्योंकि अमेरिका साफ़ तौर पर कहता रहा है कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, तो उसे टैरिफ में रियायतें मिल सकती हैं। लेकिन भारत अपने नागरिकों के हितों को सर्वोपरि रखने और वैश्विक स्थिरता के लिए लगातार रूस से तेल खरीद रहा है।
X पर तस्वीर पोस्ट करते हुए, पीएम मोदी ने लिखा, 'SCO शिखर सम्मेलन स्थल पर कार्यवाही के बाद, राष्ट्रपति पुतिन और मैं द्विपक्षीय वार्ता स्थल पर साथ गए। उनके साथ बातचीत हमेशा ज्ञानवर्धक होती है।' भारत और रूस पुराने मित्र रहे हैं और बदलती दुनिया में भी, दोनों देशों के रिश्ते समय के साथ और मज़बूत हुए हैं।
भारत-रूस मित्रता से अमेरिका नाराज़अमेरिका ने रूस से तेल ख़रीदने पर भारत पर 50 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ़ लगाया है। इसके बावजूद, भारत रूस के साथ अपनी दोस्ती की क़ीमत चुकाने को तैयार है और उसने अमेरिकी दबाव के आगे झुकने से साफ़ इनकार कर दिया है। भारत ने अमेरिकी टैरिफ़ को ग़लत बताया है और साफ़ कर दिया है कि वह अपने लोगों के हितों की रक्षा के लिए किसी भी क़ीमत पर समझौता नहीं करेगा।
भारत और रूस न सिर्फ़ कूटनीतिक और सांस्कृतिक साझेदार हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में भी गहरी साझेदारी है। भारत न सिर्फ़ रूस से तेल ख़रीदता है, बल्कि ब्रह्मोस मिसाइलों, मिग लड़ाकू विमानों, एस-400 वायु रक्षा प्रणाली और सुखोई जेट जैसे हथियारों के ज़रिए दोनों देशों की साझेदारी मज़बूत बनी हुई है। 2025 तक, भारत रूस से 60 अरब डॉलर से ज़्यादा की रक्षा ख़रीद चुका है, जो उसके कुल आयात का लगभग 60 प्रतिशत है।
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