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महाभारत काल में पांडवों ने जो कुंड बनाए, उनमें से एक कुंड पर स्थित है गणेश मंदिर, लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र

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– गणेश महोत्सव में दूर-दूर से आते हैं लोग भगवान गणेश की पूजा करने

शिवपुरी, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के शिवपुरी में महाभारत कालीन एक प्राचीन गणेश मंदिर है जो गणेश महोत्सव में लोगों की बड़ी आस्था का केंद्र होता है। शिवपुरी के बाणगंगा मंदिर परिसर में महाभारत काल के दौरान पांडवों द्वारा यहां अपना अज्ञातवास गुजारा गया था। इस दौरान यहां पर अर्जुन ने अपने बाण से 52 कुंड बनाए थे। इन 52 कुंड में से एक कुंड पर गणेश मंदिर की स्थापना भी की गई थी। महाभारत काल से ही गणेश प्रतिमा कुंड के ऊपर स्थापित है। आज यह प्राचीन गणेश मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। गणेश महोत्सव के दौरान इस मंदिर पर लोग दूर-दूर से भगवान गणेश की पूजा करने के लिए आते हैं।

कुंड के ऊपर बना है गणेश मंदिर –

बाणगंगा मंदिर क्षेत्र परिसर के आसपास 52 पवित्र कुंड है। ऐसा माना जाता है कि यहां पांडवों में से एक अर्जुन ने भीष्म की प्यास बुझाने के लिए अपने बाढ़ से गंगा निकाली थी। शिवपुरी के वरिष्ठ लेखक व इतिहासकार अशोक मोहिते का कहना है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कुछ समय शिवपुरी के घने जंगलों में गुजारा था। शिवपुरी के पास ही बैराड़ नगर है जो उस समय का विराट नगर कहलाता था और विराटनगर में भी महाभारत काल के दौरान पांडवों ने अपना काफी समय गुजारा। पांडवों ने विराटनगर से शिवपुरी के जंगलों में कुछ समय गुजारा तो पांडवों ने बाणगंगा से सिद्धेश्वर तक कुल 52 कुंडों का निर्माण किया। उन्हीं में से एक कुंड है जिस पर भगवान गणेश विराजे हैं।

लोगों की आस्था का केंद्र मंदिर-

बाणगंगा क्षेत्र परिसर में जो गणेश मंदिर है। इसे भक्तों की इच्छा पूर्ण करने वाला मंदिर भी कहा जाता है। इस समय गणेश महोत्सव चल रहा है और गणेश महोत्सव में यहां पर दूर-दूर से लोग भगवान गणेश की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए आते हैं। शिवपुरी के धर्मप्रेमी मनीष शिवहरे बताते हैं कि इस समय गणेश महोत्सव के दौरान जहां विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। गणेश महोत्सव के पहले दिन ही यहां रामधुन प्रारंभ की गई है और यहां गणेश महोत्सव में प्रतिदिन कई धार्मिक कार्यक्रम व पूजा पाठ होगी।

(Udaipur Kiran) / रंजीत गुप्ता

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