नई दिल्ली, 25 अगस्त (Udaipur Kiran) । बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने रेलवे ट्रैक पर सोलर पैनल लगाकर एक नया इतिहास रच दिया है। यह प्रयोग देश में पहली बार हुआ है, जहां चलने लायक और मजबूत सोलर पैनल सीधे रेलवे ट्रैक पर लगाए गए हैं। इससे बिजली बनाई जा रही है। यह प्रोजेक्ट फिलहाल पायलट स्तर पर शुरू हुआ है और इसे आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार है। इस तकनीक को अपनाकर भारत अब स्विट्जरलैंड और जर्मनी के बाद दुनिया का तीसरा देश बन गया है, जिसने ट्रैक पर सोलर पैनल लगाए हैं।
बरेका के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह के मुताबिक सोलर पैनल को खास तरीके से तैयार किया गया है। इन्हें ट्रैक के बीच में रबर पैड और एपॉक्सी गोंद की मदद से लगाया गया है। जरूरत पड़ने पर पैनल को 90 मिनट में हटाया और दोबारा लगाया जा सकता है, जिससे ट्रैक का रखरखाव भी आसानी से किया जा सकेगा। हर पैनल का वजन करीब 32 किलो है और साइज 2.2 मीटर गुणा 1.1 मीटर है।
बरेका ने इस प्रोजेक्ट के तहत भारत का पहला हटाया जा सकने वाला 15 किलोवाट का सोलर पैनल सिस्टम एक्टिव रेलवे ट्रैक के बीच स्थापित किया है। इसके साथ बरेका में पहले से ही 3859 किलोवॉट पीक क्षमता वाला सोलर पावर प्लांट लगा है, जिससे हर साल करीब 42 लाख यूनिट सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है।
साल 1956 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने इसकी नींव रखी थी और 1961 में यह शुरू हुआ। पहले यह कारखाना डीजल इंजन बनाता था लेकिन 2016 में सरकार की इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव नीति आने के बाद यहां बिजली से चलने वाले इंजन बनने लगे। शुरुआत में सिर्फ दो इंजन बने थे लेकिन अब तक यहां कुल 2538 इलेक्ट्रिक इंजन बनाए जा चुके हैं। जुलाई 2025 तक बरेका कुल 10,860 इंजन बना चुका है, जिनमें 8313 डीजल, 2538 इलेक्ट्रिक, 08 कन्वर्जन और 01 ड्यूल मोड इंजन शामिल है।
बरेका ने उत्पादन के कई रिकॉर्ड भी बनाए हैं। दिसंबर 2023 में प्रधानमंत्री ने यहां बने 10,000वें इंजन का लोकार्पण किया था। जनवरी 2025 में एक महीने में सबसे ज्यादा 124 बोगियों और मार्च में 61 इलेक्ट्रिक इंजनों का निर्माण हुआ। साल 2024-25 में कुल 477 इंजन बनाए गए, जो अब तक का सबसे ज्यादा उत्पादन है। बरेका को अब तक रेलवे की ‘सर्वश्रेष्ठ उत्पादन इकाई’ का पुरस्कार पांच बार मिल चुका है।
बरेका ने विदेशों में भी अपना परचम लहराया है। 1976 में तंजानिया को पहली बार इंजन भेजने के बाद अब तक 11 देशों को कुल 174 इंजन निर्यात किए जा चुके हैं। अभी मोजाम्बिक के लिए 10 इंजनों का ऑर्डर मिला है, जिनमें से दो इंजन जून 2025 में भेजे जा चुके हैं और बाकी दिसंबर तक भेजे जाएंगे।
पर्यावरण के क्षेत्र में भी बरेका आगे है। यहां 12 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और 3 एमएलडी क्षमता का औद्योगिक अपशिष्ट उपचार संयंत्र काम कर रहा है। सबसे खास बात यह है कि कारखाने से निकलने वाला कोई भी गंदा पानी, चाहे साफ किया गया हो या न किया गया हो, गंगा नदी में नहीं छोड़ा जाता।
इसके अलावा, ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज करने के लिए 29 डीप वेल बनाए गए हैं और जैविक खाद बनाने के लिए बायो फर्टिलाइजर प्लांट भी लगाया गया है। बरेका खेल, शिक्षा, पर्यावरण, सांस्कृतिक गतिविधियों और रोजगार जैसे सामाजिक क्षेत्रों में भी लगातार योगदान दे रहा है।
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(Udaipur Kiran) / प्रशांत शेखर
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