काठमांडू, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । बाढ़ और भूस्खलन के कारण नेपाल चीन के बीच दो प्रमुख व्यापार मार्ग लगभग पूरी तरह से बंद हो गए हैं, जिससे नेपाल में बड़ी मात्रा में आयात होने वाली उपभोक्ता वस्तुओं का आयात नहीं हो पा रहा है। चीन की सीमा में करीब 400 से अधिक कंटेनरों के होल्ड होने से नेपाल के व्यापारी परेशान हैं।
व्यापारियों ने बताया है कि नेपाल आने के लिए तैयार माल से भरे लगभग 400 कंटेनर वहां फंसे हुए हैं, क्योंकि नेपाल चीन को जोड़ने वाले मुख्य व्यापारिक केंद्र, तातोपानी और रसुवागढ़ी, मानसून से संबंधित आपदाओं के कारण लगभग बंद हो गए हैं।
चीन में कंटेनरों के रुकने के कारण इस वर्ष के पर्व त्यौहारों को लक्षित करते हुए व्यवसायियों द्वारा मंगाया गया सामान बाढ़ और भूस्खलन के कारण नहीं आ सका, इसलिए उपभोक्ताओं को इस वर्ष सामान की कमी और अनियंत्रित मूल्य वृद्धि के दोहरे बोझ का सामना करना पड़ रहा है।
नेपाल ओवरसीज एक्सपोर्ट इम्पोर्ट एसोसिएशन के महासचिव जयंत कुमार अग्रवाल के अनुसार, चीन से आने वाले लगभग 400 कंटेनर माल को रोक दिया गया है। उन्होंने कहा, हमारे पास सटीक आंकड़े नहीं हैं, लेकिन हमारा अनुमान है कि चीन से आने वाले लगभग 400 कंटेनर माल को रोक दिया गया है।
उन्होंने बताया कि उन कंटेनरों में आने वाले पर्व त्यौहारों के लिए लक्षित पूरा सामान शामिल है, जैसे कपड़े, जूते, सेब, अखरोट, लहसुन, सूखे मेवे और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट। महासचिव अग्रवाल कहते हैं कि यह सिर्फ़ इस साल के मानसून से पैदा हुआ एक बार का संकट नहीं है, बल्कि हर साल आने वाली एक आवर्ती आपदा है।
यह समस्या सिर्फ आज की नहीं है, हम वर्षों से इससे जूझ रहे हैं। नई व्यापारिक सीमा को उन्नत करना जरूरी है। अगर चीन के साथ व्यापार समुद्र के रास्ते होता है, तो बाजार में कीमतें और कमी दोनों निश्चित रूप से बढ़ेंगी।
नेपाल हिमालयन क्रॉस-बॉर्डर कॉमर्स एसोसिएशन के महासचिव राम चंद्र पराजुली के अनुसार, यदि चीन में फंसे सामान अगले 10 से 15 दिनों के भीतर नेपाल में प्रवेश नहीं कर पाते हैं, तो पर्व त्यौहारों का सीजन और महंगा होना तय है।
परजुली कहते हैं, यह सिर्फ़ माल का रुकना नहीं है, बल्कि बाज़ार चक्र का रुकना है। जब बाजार में माल की कमी होती है, तो कालाबाजारी फलती-फूलती है। यहां सीमित माल की कीमतें अस्वाभाविक रूप से बढ़ जाती हैं।
बाढ़ के कारण सीमा पार करने वाले पुल के बह जाने तथा भूस्खलन के कारण स्याफ्रूबेसी से रसुवागढ़ी तक 18 किलोमीटर लंबी सड़क के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद रसुवागढ़ी सीमा पार करना पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
चीन की ओर ‘लिपखुफिर’ नामक स्थान पर भूस्खलन के बाद तातोपानी सीमा पिछले 20-22 दिनों से बंद है। लगभग 22 दिनों की लंबी नाकेबंदी के बाद, तातोपानी सीमा शुल्क परिसर में रोके गए वाहनों को अब तक नेपाल प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकी है।
तातोपानी सीमा शुल्क कार्यालय के सूचना अधिकारी सूर्य प्रसाद काफले के अनुसार कोदारी सीमा नाका में हाल ही में आए भूस्खलन के कारण 35 मीटर सड़क पूरी तरह से बाधित हो गया है। सूचना अधिकारी काफले कहते हैं, समस्या की जड़ छोटी है, लेकिन जटिल है।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास
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