नई दिल्ली, 17 अगस्त (Udaipur Kiran) । चुनाव आयोग ने रविवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उनके वोट चोरी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वे 7 दिन में हलफनामा दें या देश से माफी मांगें। उनकी ओर से लगाए गए आरोपों का आयोग बिना हलफनाने के जवाब नहीं देगा। साथ ही चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में त्रुटियां होना फर्जी मतदान नहीं होता।
दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में आयोजित विशेष पत्रकार वार्ता में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ओर से लगाए जा रहे आरोपों का जवाब दिया। साथ ही उन्होंने बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया से जुड़े प्रश्नों पर भी अपना पक्ष रखा। चुनाव आयोग को लेकर राहुल गांधी के आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि उन्हें या तो हलफनामा देना होगा या देश से माफ़ी मांगनी होगी। कोई तीसरा विकल्प नहीं है। अगर 7 दिनों के अंदर हलफनामा नहीं मिलता है, तो इसका मतलब है कि ये सभी आरोप बेबुनियाद हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक बात स्पष्ट की कि मतदाता सूची को त्रुटि रहित रखना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। मतदाता सूची में त्रुटियां होना फर्जी मतदान या गलत मतदान की ओर संकेत नहीं करता। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में त्रुटियों का होना सामान्य है, क्योंकि यह विकेंद्रीकृत प्रक्रिया के तहत बहुत बड़े स्तर पर तैयार होती है। इन त्रुटियों की ओर ध्यान कराने की भी एक प्रक्रिया है। मतदान से पूर्व इसे स्थानीय स्तर पर बेहद आसानी से किया जा सकता है। मतदान के बाद नियमों के तहत हलफनामा दिया जा सकता है, जिसकी जांच चुनाव आयोग कर सकता है।
चुनाव आयोग ने कहा कि महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में चुनाव के बाद उसे इस तरह का कोई हलफनामा प्राप्त नहीं हुआ है। राहुल गांधी के आरोपों पर आयोग ने कहा कि केवल एक पीपीटी दिखा देने से आयोग लाखों मतदाताओं को जांच के दायरे में नहीं ला सकता। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची और मतदान अलग चीजें हैं—त्रुटि सूची में हो सकती है, लेकिन इससे मतदान की शुचिता प्रभावित नहीं होती। गलत आंकड़े और पीपीटी के आधार पर आरोप लगाना चुनाव प्रक्रिया को कमजोर करने जैसा है।
कुमार ने कहा कि समय रहते आपत्ति दर्ज करने का अधिकार राजनीतिक दलों को दिया गया है, लेकिन समय बीत जाने के बाद आरोप लगाना केवल राजनीति है। आयोग ने दोहराया कि हर पात्र को सूची में शामिल करना और अपात्र को हटाना उसकी जिम्मेदारी है। बिहार के संबंध में राजनीतिक दलों के पास 1 सितंबर तक का समय है।
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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा
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